Rajasthan News : राजस्थान में एक गांव ऐसा भी है, जहां मंदिर में आई भेंट राशि गांव के लोगों की निजी जिन्दगी में तरक्की का सोपान बन रही है। चढ़ावे की राशि गांव के लोगों में समान रूप से बंटती है और दूसरे साल ब्याज समेत फिर जमा हो जाती है। गांव के लोग ही नहीं, दूसरे गांवों में ब्याही जा चुकी बहन-बेटियों को भी आर्थिक मदद दी जाती है।
वाड़ी विसर्जन के दिन खुलती है दान पेटी
यह गांव है बांसवाड़ा जिले की गणाऊ ग्राम पंचायत का निचली नाल। यहां करीब 70 साल पुराना पितृदेव मंदिर है। समाजसेवी एवं शिक्षक मालसिंह निनामा बताते हैं कि यहां वर्षभर जो चढ़ावा आता है, उसकी गणना के लिए साल में एक बार दानपेटी खुलती है। इसके लिए नवरात्र से पूर्व वाड़ी विसर्जन का दिन तय है। भेंट राशि किसी बैंक या संस्था में न जमा करवाकर सभी सदस्य परिवारों को बांट दी जाती है। इसका बाकायदा हिसाब लिखा जाता है। सालाना करीब 10 लाख रुपए मदद के तौर पर सभी परिवारों में बंटते हैं।
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ससुराल जा चुकी बहनें भी हैं सदस्य
समिति में हर एक परिवार का सदस्य है। आज 262 सदस्यों में वे बहनें भी शामिल हैं, जिनकी शादी दूसरे गांव में हुई। पूरी राशि गांव की बनाई समिति के सदस्यों में समान रूप से बांटी जाती है। हर साल न्यूनतम 20-20 हजार तक प्रति सदस्य बांटे जाते हैं। जरुरतमंदों के मुताबिक राशि कम या ज्यादा भी होती है। अगले साल पेटी में जमा राशि, सदस्यों से ब्याज सहित आया पैसा मिलाकर फिर उन्हीं सदस्यों में बांट दिया जाता है। यह क्रम ऐसे ही चलता-रहता है। पूर्व में ब्याज दर दो फीसदी थी, जो फिर घटकर डेढ़ और अब 1.25 प्रतिशत कर दी।
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20 साल पूर्व यूं हुई शुरुआत
20 वर्ष पहले तक नकद चढ़ावे का कोई हिसाब-किताब नहीं होता था। कुछ बुद्धिजीवियों ने दानपेटी रख दी। उसमें जमा भेंटराशि के पैसों का इस्तेमाल आर्थिक मदद के तौर पर करने की व्यवस्था आम सहमति से लागू की गई। गांव का हर व्यक्ति राशि लेने के बाद बिना किसी तकाजे के खुद ही तय दिन आकर जमा करवा जाता है।
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सामूहिक भोज में आती हैं बहनें, भेंट में मिलती है साड़ी
गांव में सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि मंदिर पर वार्षिक कार्यक्रम के लिए सदस्य 300-300 रुपए अलग से देते हैं। दिनभर अनुष्ठान व राशि वितरण के बाद सामूहिक महाभोज होता है। इसमें उन बहनों को भी एक-एक साड़ी भेंट में मिलती हैं, जिनकी शादी हो चुकी। बहनें खुद भी समिति की सदस्य होती हैं।
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ये हैं समिति के प्रमुख सदस्य
पूर्व सरपंच धीरजमल डामोर, लेम्पस व्यवस्थापक सुखलाल डामोर, अध्यापक मालसिंह निनामा एवं मोहनलाल निनामा, पुजारी मकनलाल, लक्ष्मणलाल डामोर व रकमा भगत।
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