सडक़ों के निर्माण में बड़ा घोटाला… अब खुला सीएम के गृह जिले में राज

मुख्यमंत्री के गृह जिले में किस कदर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को जिम्मेदार अफसर फेल करने में जुटे हुए हैं, इसका एक ताजा मामला सामने आया है, जहां दो बड़े संवेदकों के कार्यों की जांच कमेटी अभी तक नहीं कर सकी है तो वहीं एक पुराने प्रकरण में कमेटी की रिपोर्ट में एक संवेदक को घोटाले का दोषी मानने के बाद भी सिफारिशों के फेर में कार्रवाई उलझी हुई है। सिफारिशों के इस खेल में किसी एक ही पार्टी के नेता नहीं, बल्कि दोनों दलों की सिफारिश शामिल है। मामला यह है कि निर्मित सडक़ों की गुणवत्ता के मानदंडों की अवहेलना करने वाले अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों ने भरतपुर स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला की रिपोर्ट भेजी थी। ज्ञात रहे कि एकमात्र राजस्थान पत्रिका ने 21 अक्टूबर 2024 व 15 अगस्त 2024 के अंक में दो संवेदकों के खिलाफ आदेश के बाद भी जांच नहीं होने व नेताओं की संवेदकों की सिफारिश करने का मामला उजागर किया था। यह मामला भी उन्हीं दो संवेदकों में से एक का है।
पीडब्ल्यूडी के गुणवत्ता नियंत्रण के प्रमुख अभियंता जसवंत लाल खत्री ने छह अगस्त को पीडब्ल्यूडी के सडक़ के मुख्य अभियंता को कुम्हेर से जनूथर, सुंदरावली और नगर तक निर्मित सडक़ के खिलाफ गुणवत्ता नियंत्रण रिपोर्ट भेजी। प्रमुख अभियंता ने कुम्हेर से नगर तक सडक़ का दौरा किया और 24 जुलाई को चौड़ाईकरण और नवीनीकरण के नमूने लिए और उन्हें जयपुर स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला में भेजा। यह सडक़ 26 किलोमीटर की थी और इसका बजट 36 करोड़ रुपए था। अवलोकन रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि संबंधित संवेदक की ओर से घने बिटुमिनस मैकाडम (डीबीएम), बीसी, कंक्रीट कार्यों के जॉब मिक्स फॉर्मूले की क्रॉस चेकिंग सुनिश्चित करें, इसे ठेकेदार की ओर से प्रस्तुत किया गया था। सभी गांवों में विभिन्न स्थानों पर सीसी फुटपाथ के काम में खराबी और बड़ी दरारें देखी गईं। बिटुमिन कोर की मोटाई कम पाई गई। इससे साबित हुआ है कि सडक़ बनाने में भ्रष्टाचार किया गया है। मापदंडों के मुताबिक सडक़ निर्माण नहीं किया गया।

रिपोर्ट में बताईं ये गड़बड़ी

सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (गुण नियंत्रण) जसवंतलाल खत्री की ओर से छह अगस्त 2024 को यूओ नोट में चार बिंदुओं में उक्त सडक़ की गड़बडिय़ों का खुलासा किया है। इसमें बताया है कि 19 स्थानों में से 10 स्थानों पर सीमेंट कंक्रीट सडक़ की मोटाई निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। 19 स्थानों में से 16 स्थानों पर कम्प्रेशिव स्ट्रेन्थ निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। 34 स्थानों में से 22 स्थानों पर डीबीएम बीसी की मोटाई निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। सभी 34 स्थानों पर बिटूमन की मात्रा निर्धारित मापदंडों से कम पाई गई है। उक्त संबंध में संवेदक व संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की व्यवस्था कराएं।

तीन अधिकारियों पर गिर चुकी गाज

इसी प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से तीन अधिकारियों पर 11 सितम्बर 2024 को गाज भी गिर चुकी है। इसमें एक्सईएन, एईएन व जेईएन को निलंबित किया गया था। शासन संयुक्त सचिव कैलाश नारायन मीना ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता रूपेश कुमार, तकनीकी सहायक एवं सहायक अभियंता हरिओम गुप्ता, कनिष्ठ अभियंता हैप्पी सिंह को निलंबित कर मुख्यालय सार्वजनिक निर्माण विभाग जयपुर किया था। इसमें भी सामने आया था कि प्रमुख शासन सचिव के आदेश पर मुख्य अभियंता (गुण नियंत्रण) सार्वजनिक निर्माण विभाग कमेटी गठित कर चुके थे, लेकिन अधिकारियों ने रसूख के दबाव में जांच तक नहीं की। इसमें कार्रवाई के आदेश के बाद भी कुछ नहीं किया गया।

अगर जांच कराएं तो हो सकता है बड़ा खुलासा

अगर पिछले चार-पांच साल के अंदर भरतपुर व डीग जिला समेत शहरी इलाकों में हुए निर्माण कार्यों की पड़ताल की जाए तो सामने आता है कि सडक़ों के निर्माण पर विवाद होते रहे हैं। कहीं बनी हुई सडक़ पर ही दुबारा खानापूर्ति के लिए निर्माण किया गया तो कहीं घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन रसूखदार नेताओं केे दबाव में कभी कार्रवाई नहीं की गई। अगर पिछले कुछ वर्ष के अंदर हुए करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की जांच कराई जाए तो बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है, लेकिन इस बार दोषी और जिम्मेदार, दोनों की ही चुप्पी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।

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