कभी पाली शहर के लोर्डिया तालाब के सिंघाड़े अपनी मिठास के लिए पहचाने जाते थे। जब भी सिंघाड़ों की पैदावार होती तो उसका स्वाद चखने की शहरवासियों की ख्वाहिश रहती थी। पिछलेे कुछ साल से बारिश होने के बावजूद सिंघाड़े गायब है।
इस साल मानसून की अच्छी बारिश से जिले के लगभग तालाब और बांध पानी से लबालब हो गए। शहर के बीच स्थित लाखोटिया व लोर्डिया तालाब भी पानी से भर गया। पिछले साल बिपरजॉय और इस साल मानसून की अच्छी बारिश से भरे लोर्डिया तालाब में भरे पानी से इस बार सिंघाड़े की पैदावार की आस जगी थी, लेकिन अधूरी ही रह गई। हेमावास गांव के कुछ कीर परिवार लोर्डिया तालाब में सिंघाड़े की बुवाई करते थे। उनका धीरे-धीरे मोह भंग हो गया। इसके चलते पिछले छह साल से सिंघाड़े की पैदावार नहीं हुई।
पाली के सिंघाड़े का अनूठा होता है स्वाद
पाली के लोर्डिया तालाब में होने वाले सिंघाड़े पाली के साथ प्रदेश व देश में प्रसिद्ध हैं। इसकी मिठास से पता चल जाता है कि ये पाली के सिंघाड़े हैं। वर्तमान में पाली में बिकने वाले सिंघाडे अजमेर, नसीराबाद, केकड़ी, ब्यावर, रायपुर व गुजरात से आ रहे हैं।
पाली शहर का लोर्डिया तालाब, जहां होती थी सिंघाड़े की पैदावार।
100 रुपए के डेढ़ किलो के भाव से बेच रहे सिंघाड़े
पिछले छह साल से पाली में सिंघाड़े की पैदावार नहीं हो रही। व्यापारी बाहर से सिंघाड़े मंगवाकर पाली में बेच रहे हैं। रिटेल में 100 रुपए के डेढ किलो के भाव से सिंघाड़े बचे जा रहे हैं।
–राजूसिंह, सिंघाड़ा व्यापारी
लोर्डिया में छह साल से नहीं हो रही सिंघाड़े की पैदावार
लोर्डिया तालाब में पिछले छह साल से सिंघाड़े की पैदावार नहीं हो हुई। जिसके चलते व्यापारी अजमेर, नसीराबाद, केकड़ी, ब्यावर, रायपुर सहित गुजरात से सिंघाड़े मंगवाकर बेच रहे हैं।
–कुंदन प्रजापत, सिंघाड़ा व्यापारी
सिंघाड़े की रोप नहीं मिल रही
लोर्डिया तालाब में सिंघाड़े की बुवाई करने के लिए मानपुरा भाखरी के रहने वाले 15-20 कीर जाति के परिवार थे। जो 10-10 फीट की बेल तालाब में डालकर सिंघाड़े की बुवाई करते थे। उन्हें जयपुर के आसपास, केकड़ी, शाहपुरा, टोंक जिले के देवली से सिंघाड़े की रोप नहीं मिल रही। इसके चलते ये परिवार अब वे आसपास के खेतों में मजदूरी कर रहे हैं।
–बाबू भाई कीर, मानपुरा भाखरी