Millets and Plant Based Eating: भारतीय आदतें जो बचा सकती हैं पृथ्वी

Millets and Plant Based Eating : वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जहां पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है, वहीं भारतीयों की खान-पान की आदतें इस चुनौती का समाधान प्रस्तुत कर रही हैं। हाल ही में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) द्वारा जारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के अनुसार, भारत का भोजन अन्य जी-20 देशों की तुलना में सबसे अधिक जलवायु-अनुकूल है।

शाकाहारी भोजन का बढ़ता प्रभाव

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शाकाहारी भोजन में पौधों पर आधारित आहार और कम संसाधनों वाले खाद्य पदार्थों पर जोर दिया जाता है। ग्लोबलडेटा की उपभोक्ता विश्लेषक श्रावणी माली ने बताया कि भारतीय महानगरों में शाकाहारी भोजन को लेकर लोगों में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। यह न केवल पोषण में लाभकारी है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

बाजरे की ओर रुझान: पर्यावरण के अनुकूल समाधान

भारत सरकार द्वारा बाजरे के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बाजरा अभियान और 2023 के अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष अभियान जैसे कदम सराहनीय हैं। बाजरा कम संसाधनों में अधिक उत्पादन देने वाली फसल है, जो पर्यावरण पर कम दबाव डालती है। ग्लोबलडेटा के एशिया-प्रशांत निदेशक दीपक नौटियाल ने बताया कि बाजरा न केवल पोषण का एक अच्छा स्रोत है, बल्कि यह एक स्थायी खाद्य विकल्प भी है।

पारंपरिक आहार की वापसी

भारतीय आहार परंपरा में दाल, अनाज, सब्जियों और मौसमी उत्पादों का खास स्थान है। यह आहार न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि पर्यावरणीय बोझ को भी कम करता है। श्रावणी माली के अनुसार, भारतीय उपभोक्ता टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खाद्य विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ग्लोबलडेटा द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में 79 प्रतिशत भारतीयों ने स्वीकार किया कि वे खाद्य और पेय पदार्थ खरीदते समय टिकाऊ विकल्पों को चुनते हैं।

सरकार की पहल: सतत कृषि और जलवायु अनुकूल खेती

भारत सरकार ने जलवायु अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस मिशन का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि यह किसानों को भी जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करता है।

भारतीय खान-पान से वैश्विक लाभ

भारतीयों की खान-पान की आदतें न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन के समाधान में भी एक अहम भूमिका निभा सकती हैं। पौधों पर आधारित आहार, बाजरा जैसी फसलों का अधिक उपयोग, और स्थानीय एवं मौसमी खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देकर हम एक स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

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