आपकी बात, दक्षिण के कुछ नेताओं के आबादी बढ़ाने के वक्तव्य कितने व्यावहारिक हैं?

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संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत

जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के प्रयासों का भारत के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। यह एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का समय है।  जनसंख्या को बढ़ाने की बजाय हमें  महिलाओं के सशक्तीकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण पर खास ध्यान देना होगा। -राजूराम प्रजापत,  नागौर

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राष्ट्र की प्रगति में बाधक 

 हाल ही में दक्षिण भारत के दो बड़े नेताओं ने आबादी बढ़ाने को लेकर बयान दिए हैं।  भारत वैश्विक स्तर पर आबादी में प्रथम स्थान पर है। देश में बेरोजगारी व महंगाई चरम पर है। इस हालत में भी इस तरह की बयानबाजी करके परिवार नियोजन कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह राष्ट्र की प्रगति में बाधक है।

 -जानकी वल्लभ शर्मा, जयपुर

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 युवाओं की संख्या में कमी 

 दक्षिणी राज्यों के दो मुख्यमंत्रियों ने हाल में अपने प्रदेश के लोगों से आबादी बढ़ाने की  अपील की है। असल में दक्षिण भारत में युवाओं की संख्या में कमी और अन्य राज्यों के लोगों के वहां जाने से डेमोग्राफी  में बदलाव वहां के नेताओं को रास नहीं आ रहा। 

 -दिवाकर गहलोत, बीकानेर

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 अव्यावहारिक सुझाव

  दक्षिण भारत के कुछ नेताओं के आबादी बढ़ाने का सुझाव व्यावहारिक प्रतीत नहीं होता है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। जनसंख्या बढऩे से देश में उपलब्ध संसाधनों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, आवास, वस्त्र, पौष्टिक आहार वर्तमान में भी देश में कई लोगों को उपलब्ध नहीं हैं। आबादी बढऩे पर स्थिति और बिगड़ सकती है। 

ललित महालकरी, इंदौर

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  वोट बैंक की राजनीति

देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए चले आ रहे ‘परिवार नियोजन’ के अभियान के बीच, दक्षिण के कुछ नेताओं के आबादी बढ़ाने के वक्तव्य अव्यावहारिक ही कहलाएंगे।  वोट बैंक की राजनीति के लिए आबादी बढ़ाना घातक साबित हो सकता है।

 -नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.

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परिसीमन भी है कारण

 आबादी बढ़ाने के बयानों के पीछे लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन मुख्य रूप से कारण लगता है। आबादी के आधार पर उत्तर भारत में दक्षिण भारत की अपेक्षा सीटें ज्यादा बढ़ेंगी। जिन राज्यों में आबादी ज्यादा होगी वहां प्रतिनिधित्व बढ़ेगा यानी सीटें बढं़ेगी। इसके बावजूद ऐसे वक्तव्य व्यावहारिक नहीं हंै। ऐसे बयान सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए ही दिए जाते हैं। 

 -नूरजहां रंगरेज, भीलवाड़ा

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तर्कसंगत नहीं  

दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में दक्षिण के कुछ राजनेताओं द्वारा अपने स्वार्थ के चलते जनसंख्या बढ़ाने की बात कहना हास्यास्पद लगता है।  नामी राजनेताओं द्वारा इस तरह के बयान देना तर्कसंगत नहीं लगता।  

-संजय डागा हातोद, इन्दौर, मप्र

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समस्याएं बढ़ेंगी  

परिसीमन के दौरान उत्तरी राज्यों की लोकसभा सीटें बढऩे और दक्षिण राज्यों की कम होने का डर हो या बुजुर्गों की संख्या अधिक होने का तर्क, आबादी बढ़ाने के वक्तव्य समस्या को बढ़ाएंगे ही। ज्यादा बच्चे पैदा करने से  समस्याएं बढ़ेंगी।

 -शिवजी लाल मीना, जयपुर

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