मोहलत खत्म होने पर समारोह स्थल सीज, क्षेत्र में छाई वीरानी

खुला दिखा एक संपत्ति का द्वार, बंद दुकान के आगे लगाई चाय की थड़ी

अजमेर। आनासागर झील के नो कंस्ट्रक्शन जोन में अजमेर विकास प्राधिकरण की बुधवार को हुई कार्रवाई के बाद कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है। गुरुवार को समारोह स्थल गोविंदम को भी प्रशासन ने सीज कर दिया। इसे विवाह समारोह के चलते एक दिन की मोहलत दी गई थी। उधर सीज की गई संपत्ति का एक गेट खुला नजर आया। बंद दुकान के आगे चाय की थड़ी संचालित मिली।

रीजनल कॉलेज चौराहा तक वीरानी

एडीए की ओर से आनासागर झील के नो कंस्ट्रक्शन जोन में संचालित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर बुधवार को मैराथन सीजिंग कार्रवाई के बाद गुरुवार को वैशाली नगर पेट्रोल पंप से रीजनल चौराहे तक वीरानी छाई रही। सड़क से सटे कैफे, नर्सरी, गार्डन, रेस्टोरेंट, कपड़े की दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में सूनापन नजर आया। सालों से आबाद सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के शटर डाउन नजर आए। सभी पर एडीए के ताले और सील लगाई गई है।शटर के आगे लगाई दुकानएक प्रतिष्ठान में शटर के आगे युवक चाय की थड़ी लगाकर मिट्टी के कुल्हड में चाय बेचता नजर आया। दरअसल यहां प्रतिदिन दैनिक मजदूरी व निर्माण संबंधी कार्य करने वाले श्रमिक सुबह की चाय पीने आते थे लेकिन दुकान बंद होने के कारण इधर उधर चाय की तलाश करनी पड़ी।

धारा 4 में जारी होता है नोटिफिकेशन

विधि विशेषज्ञों की मानें तो भूमि अवाप्ति अधिनियम में धारा- 4 में नोटिफिकेशन जारी होता है। इसके बाद धारा पांच में आपत्तियां मांगने के बाद छह नोटिफिकेशन अनुसार अवार्ड पारित हो जाता है। इसके बाद यह संपत्ति सरकार में निहित हो जाती है। सरकार इस भूमि की मालिक होती है। वर्ष 2016-17 में झील संरक्षण कानून के तहत डूब क्षेत्र में वेट लैंड व नो कंस्ट्रक्शन जोन आदि के नियम लागू होने के बाद इन क्षेत्रों में किसी प्रकार का निर्माण अनुचित माना गया। जबकि आनासागर के प्रकरण में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित होने की शिकायत मिलने के बाद सीजिंग की गई है।

विधिक राय के अनुसार कई पेचीदगियां

आनासागर वेट लैंड में वर्ष 2012-13 में पंचाट अथवा अवार्ड पारित हो गया। इसके तहत खातेदारों को उनकी भूमि के अनुरूप मुआवजा मिलना था लेकिन खातेदारों ने इसे स्वीकार नहीं किया। कारोबारी अदालत की शरण में चले गए। अदालत ने संपत्ति में यथास्थिति (स्टेटस-को) के आदेश दिए। अर्थात दोनों पक्षकारों को संपत्ति में रद्दोबदल या तोडफोड़ या निर्माण नहीं करना था लेकिन खातेदारों ने उप किराएदारी या बेचान कर अन्य तरीके से संपत्ति का इस्तेमाल व्यावसायिक रूप से करना शुरु कर दिया। इससे प्राधिकरण को सीजिंग का पर्याप्त आधार मिला है।

सत्यकिशोर सक्सेना, वरिष्ठ एडवोकेट, सेशन कोर्ट

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