भागवत कथा का समापन
कुचेरा(नागौर). धैर्य, धर्म, मित्र और पत्नी की परख विपदा पड़ने पर होती है। यह विचार संत हेतमराम महाराज ने बुधवार को भागवत कथा के समापन पर व्यक्त किए। संत ने श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि विश्व में शांति का माहौल तैयार करना है, तो श्रीकृष्ण सुदामा जैसी मित्रता को महत्व देना होगा। सच्ची मित्रता में कोई गरीब या अमीर नहीं होता। मित्रता के लिए दौलत की आवश्यकता नहीं होती।
संत ने कहा कि मित्रता ऐसी नहीं होनी चाहिए जो दाना पानी चुगे और उड़ जाए, मित्रता पेड़ और पंछी की तरह होनी चाहिए जो एक दूसरे के लिए अपना बलिदान देने के लिए तैयार हो जाए। संत हेतमराम ने ब्रह्मलीन संत मूर्तिराम महाराज के जीवन की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि जीवन में जिस व्यक्ति ने अच्छा गुरु नहीं बनाया उसका जीवन व्यर्थ है। संत नेमीराम ने राम नाम और गुरु महिमा का महत्व बताया।