एफसीटीसी की पहल
नई दिल्ली. वैकल्पिक उत्पादों का मूल्यांकन कर लोगों को सूचित विकल्प चुनने में समर्थ बनाया जा सकता है। तम्बाकू के खिलाफ लड़ाई में समग्र और सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण आवश्यक है। साथ ही, टेक्नोलॉजी के उपयोग से इन प्रयासों का विस्तार कर विकसित भारत के उद्देश्य की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
विकसित भारत का उद्देश्य जन स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए आवश्यक विज्ञान और टेक्नोलॉजी की परिवर्तनकारी भूमिका पर निर्भर है। भारत सहित कई देश विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) का अनुसरण कर रहे हैं। वो अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुरूप समयसीमा के मामले में अपने निर्णय के अनुसार काम करने के लिए स्वतंत्र हैं। साथ ही डब्लूएचओ के पूर्व अधिकारियों, प्रोफेसर रॉबर्ट बीगलहोल और प्रोफेसर रुथ बोनिता ने हाल ही में अपने एक लेख में कहा है कि तम्बाकू नियंत्रण की मौजूदा रणनीतियां काम नहीं कर रही हैं, और उन्होंने नुकसान को कम करने की रणनीति एवं तम्बाकू के खिलाफ अभियान में टेक्नोलॉजिकल प्रगति के अभाव को उजागर किया है।
रिपोर्ट के अनुमान
‘तम्बाकू नियंत्रण के मानव-केंद्रित दृष्टिकोण’ रिपोर्ट के अनुमान से साल 2030 तक तम्बाकू से होने वाली 80 प्रतिशत से ज्यादा मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में होने का अनुमान है। तम्बाकू के उपयोग के कारण होने वाली एक तिहाई मौतें सीवीडी के कारण होंगी। इसलिए भारत में तम्बाकू के कारण होने वाली मौतों से लोगों को बचाने के लिए एक नए दृष्टिकोण पर विचार किए जाने की जरूरत है।
27 प्रतिशत व्यस्क….
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत में 27 प्रतिशत व्यस्क तम्बाकू का सेवन करते हैं, और तम्बाकू के सेवन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर आता है। साथ ही भारत में 38 प्रतिशत व्यस्क पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं, जबकि तम्बाकू सेवन करने वाली व्यस्क महिलाओं की संख्या 9 प्रतिशत है। तम्बाकू सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों की वजह से देश को हर साल 1 प्रतिशत जीडीपी का नुकसान होता है, और स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले कुल खर्च का 5 प्रतिशत तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज में खर्च हो जाता है।
एफसीटीसी ने नीतियों पर दिया बल
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का विचार है कि तम्बाकू से होने वाली मौतों को कम करने का सबसे तेज रास्ता इसका त्याग करना है। इसके लिए एफसीटीसी ने टैक्स में वृद्धि, धूम्रपानरहित स्थानों, विज्ञापनों पर प्रतिबंध और शैक्षिक कार्यक्रमों जैसी नीतियों पर बल दिया है। तम्बाकू सेवन को कम करने की सार्वजनिक नीति में क्लिनिकल और मेडिकेटेड समाधानों को पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है। विभिन्न वैकल्पिक उत्पाद और रोकथाम की नीतियां लोगों द्वारा तम्बाकू सेवन का त्याग करने में काफी कारगर साबित हुए हैं। इन उत्पादों के उपयोग में कमी लाने के लिए कई रणनीतियाँ बनाई गई हैं, जिनमें सरकारी प्रोत्साहन, जागरुकता अभियान, और स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग शामिल है।