Barmer News: गडरारोड। शिव विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े कस्बे गडरारोड, रामसर, हरसाणी, गिराब, जैसिंधर, शिव सहित विशाल डीएनपी क्षेत्र में दमकल के अभाव के कारण आए दिन हो रही आग की घटनाओं के दौरान लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। जबकि प्रशासन की ओर से उपखंड व पंचायत समिति मुख्यालयो एवं बड़े गांवों में दमकल उपलब्ध करवाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि शिव विधानसभा क्षेत्र में 5 लाख से अधिक की आबादी निवास करती है। साथ ही एक से दूसरे छोर की दूरी भी 200 से 250 किलोमीटर है।
जिला मुख्यालय बाड़मेर शहर के साथ ही जिले के विधानसभा क्षेत्रों में आग लगने पर बाड़मेर से ही दमकल भेजी जाती है। अधिक दूरी के कारण समय पर दमकल के नहीं पहुंचने से कई बार बहुमूल्य सामग्री जलकर नष्ट हो जाती है। जिसके कारण लोगों को नुकसान हो रहा है।
शिव के अलावा गडरारोड, रामसर उपखंड और पंचायत समिति मुख्यालय है। बावजूद इसके क्षेत्र में कहीं पर भी दमकल की व्यवस्था नहीं है। आग लगने पर निजी ट्रैक्टर टंकियों, बीएसएफ के टैंकर ही काम आते हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई बार दमकल की मांग भी की, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कवायद नहीं की जा रही है।
यह भी पढ़ें: राजस्थान सरकार नशे पर कसेगी नकेल, यहां बनेगा एकमात्र एएनटीएफ का पुलिस स्टेशन
साल में दर्जनों घटनाएं
डीएनपी क्षेत्र प्रतिबंधित होने के कारण यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीणों को पक्के मकान बनाने में काफी समस्याओ का सामना करना पड़ता है इसलिए आज भी कच्चे घास के झोंपड़े, कंटीली बाड़े बनी हुई हैं। इन गांवों में आग की घटनाएं सर्वाधिक होती है।
लबे चौड़े सीमांत क्षेत्र में गर्मी के मौसम और आंधियों में सूखी घास में आग लगने पर हजारों पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते है। इसके अलावा दुकानों, मकानों, खेतों आदि में आग लगने से भी हजारों का सामान स्वाहा हो जाता है। वहीं सीमावर्ती क्षेत्र में आग की घटनाएं होती रहती है।
यह है अंतिम छोर के गांवों की दूरियां
बाड़मेर से सुन्दरा, रोहिड़ी 170 किमी, गडरारोड, हरसानी 85 किमी, गिराब, मुनाबाव 125 किमी, शिव, रामसर 60 किमी दूरी है। वहीं डीएनपी क्षेत्र के बंधडा, खबड़ाला, द्राभा, बिजावल 200 किमी से अधिक दूरी बन जाती है। इन गांवों में कच्ची सड़कों के साथ दुर्गम व रेतीला इलाका होने से कई बार पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है।
दमकल की सुविधा नहीं
गडरारोड उपखंड मुख्यालय है साथ ही विशाल सीमावर्ती रेतीला इलाका है। जिसमें अधिकांश हिस्सा प्रतिबंधित मरू उद्यान क्षेत्र में आता है। इसमें हजारों वन्य जीव जंतु निवास करते हैं। साथ ही कई छोटे-छोटे गांव व ढाणियां सुदूर रेतीले क्षेत्र में बसे हुए हैं।
यहां दमकल की सुविधा नहीं है। जिसके कारण आग लगने पर बाड़मेर से दमकल बुलानी पड़ती है और देर हो जाने पर पूरा का पूरा नुकसान हो जाता है। परिवार आसमान तले आ जाते हैं। कई बार प्रशासन व सरकार को अवगत करवाया गया है, लेकिन अभी भी दमकल का इंतजार है। — पूरसिंह राठौड़, पंचायत समिति सदस्य
यह भी पढ़ें: मंत्री झाबर सिंह खर्रा बोले- कांग्रेस सरकार विकास को दुश्मन मानती थी, युवाओं के भविष्य के साथ किया खिलवाड़