जोधपुर. राजस्थानी भाषा में हंसी और ठहाकों के बीच जब नाटक का मंचन शुरू हुआ तो आर्ट गैलरी में मौजूद दर्शक तालियां बजाने लगे। रम्मत संस्थान की ओर से जयनारायण व्यास स्मृति भवन स्थित आर्ट गैलरी में राजस्थानी नाटक गवाड़ी के मंचन के दौरान कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। डॉ. अर्जुन देव चारण लिखित गवाड़ी नाटक का मंचन आशीष देव चारण के निर्देशन में किया गया।
ग्रामीण परिवेश से रू-ब-रू करवाते नाटक के मंचन में कलाकारों ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। नाटक चार दोस्तों की कहानी पर आधारित है, जो आपस में खेल खेलने के साथ अपने दैनिक जीवन में आस-पास होने वाली सत्य घटनाओं पर काल्पनिक ताना बाना बुनने लगते हैं। जैसे-जैसे नाटक की कहानी आगे बढ़ती है चारों दोस्तों में एक-एक दोस्त वैचारिक मतभेद से अलग होते जाते हैं और अंत में सिर्फ एक व्यक्ति रह जाता है। वास्तविकता में अंत में एक व्यक्ति नही एक व्यक्तिगत रह जाता है।
राजस्थानी भाषा ने किया प्रभावित
गवाड़ी नाटक राजस्थानी भाषा में मंचित किया गया, जिसने दर्शकों को काफी प्रभावित किया। वहीं नाटक के दौरान लाइव संगीत, घटम, गिटार, हारमोनियम की धुन ने नाटक को अधिक रोमांचित बना दिया। नाटक गवाडी में अभिनय कर रहे कुल 11 कलाकारों में से 7 कलाकार ऐसे थे जिन्होंने पहली बार नाटक में अभिनय किया। नाटक के सभी किरदार नाटक की मंचीय अपेक्षा पर खरे उतरते नजर आए।
इन्होंने निभाई भूमिका
माधो सिंह की भूमिका आशीष देव चारण, बाबुड़ा की भूमिका प्रियांशु मूथा, अमकूडो की भूमिका अर्जुन प्रजापत, मागिया की भूमिका कनिष्क परिहार, डुंगजी की भूमिका मानद व्यास, भिखजी की भूमिका भरत कुमार, लखजी सरपंच की भूमिका संजय विश्नोई, अचिया की भूमिका आशीष नाबरिया, कंजी की भूमिका मनीष गोयल ने निभाई। संगीत संयोजन मानद व्यास, गिटार पर विवेक पुरोहित, घटम पर दिव्यांश व्यास रहे। मंच व्यवस्था सौरभ तंवर और लाइट मोहमद सफी ने संभाली।