रतन दवे. गुमाने का तला की ताराकंवर ने 1986 यानि 38 साल पहले पाकिस्तान के मिठडिय़ों गांव की उन गलियों को देखा था, जहां उसका बचपन बीता था। अपने पीहर के उस घर और आंगन जहां पर वह दिनभर चहकती और खेलती थी देखे हुए चौथा दशक खत्म होने को है। अब पिया का घर यानि भारत का गुमाने का तला ही उसका सबकुछ है।
करवा चौथ पर पति की लंबी उम्र की दुआएं करने वाली पाकिस्तान से आई तारा जैसी अनगिनत महिलाएं विवाह के बाद पाकिस्तान छोड़कर यहां आ गई। भारत-पाकिस्तान की सरहद से सटे बाड़मेर-जैसलमेर जिलों के बीच में 1947 के बंटवारे ने एक सीमारेखा खींच ली, लेकिन यह रिश्तों की लक्ष्मणरेखा नहीं बन पार्ई।
दोनों देशों में बंटवारे और उसके बाद 1965 और 1971 और अब तक लगातार एक लाख से अधिक परिवार पाकिस्तान से यहां आकर बस गए। इनके ही परिवार के अन्य सदस्य पाकिस्तान में ही है। पाकिस्तान में बसे कई हिन्दू परिवारों के लिए सयानी होती बेटी की शादी करने के लिए पहली मुश्किल गौत्र की रहती है, इसके लिए उन्हें अपनी रिश्तेदारी भारत में तलाशनी पड़ती है।
सात साल पहले सांगड़ पाकिस्तान की भंवरकंवर का विवाह बडोड़ा गांव के कुलदीपसिंह से हुआ। 2017 में थार एक्सप्रेस का संचालन हो रहा था। 2019 में भारत पाक के रिश्ते बिगड़े और यह रेल बंद हो गई। भंवरकंवर वापिस पीहर नहीं जा पाई है।
अब विडियो कॉल बड़ा जरिया
इंटरनेट क्रांति के बाद ये सुहागिनें बहुत खुश है। वे कहती हैं कि हम वीडियो कॉलिंग के जरिए अपना घर देखती है। रिश्तेदारों से बात करती है। वे भी हमारे बारे में सारी जानकारी रखते है। लेकिन विडियोकॉल से मन नहीं भरता, पिता के घर जाना अलग बात है।
थार शुरू कर दें..वो कहते है पीहर ले जाएंगे
(मुनाबाव) बाड़मेर से पाकिस्तान के बीच में थार एक्सप्रेस का संचालन हो रहा था। यह बॉर्डर के इस इलाके के लोगों के लिए पाकिस्तान आने-जाने का सस्ता, सुलभ और पसंदीदा साधन था। 2019 में पुलवामा हमले के बाद उपजे तनाव के कारण इसके बंद कर दिया गया। बॉर्डर के गेट बंद है, इसलिए अब आने जाने की आस भी बंद है।
उधर, बाघा बॉर्डर (पंजाब) से ऑन फुट वीजा दिया जा रहा है। यहां आई दुल्हने कहती है कि पति को कभी कहते है कि पीहर जाना है,तो वो प्यार से कहते है मुनाबाव रेल शुरू होगी तो ले जाऊंगा…हमारी यही प्रार्थना है, यह रेल शुरू कर दें तो एक बार पीहर जाकर आएं…।
धाट पारकर वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के डॉ. बाबूदान बींजासर का कहना है कि थार एक्सप्रेस शुरू कर दी जाए। नहीं तो बाघा बॉर्डर की तरह ऑन फुट वीजा देकर मुनाबाव से आने-जाने की सहूलियत दी जाए। ये लोग जिनका पारीवारिक रिश्ता है, वे कम से कम अपने घर शुभ-अशुभ अवसर पर तो आ जा सके। मानवीयता के नाते यह बेहद जरूरी है।
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