बीकानेर. नगर निगम अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। इसका सीधा असर निगम के कार्यालयी कार्यों और आमजन को दी जा रही सेवाओं व जनता से जुड़े कार्यों पर पड़ रहा है। कार्यों में चल रही लेटलतीफी का आलम यह है कि निगम के अनेकों चक्कर निकालने के बाद भी जनता को राहत नहीं मिल रही है। निगम में रिक्त चल रहे पदों के कारण हालात यह है कि लेखा शाखा में न स्थायी वित्तीय सलाहकार है और ना ही वरिष्ठ लेखाधिकारी। लेखा शाखा का हिसाब-किताब जूनियर अधिकारियों के भरोसे चल रहा है। यही स्थिति निगम की स्वास्थ्य शाखा की भी है। निगम में वर्षों से स्थायी स्वास्थ्य अधिकारी ही नहीं है। दो पद स्वीकृत है और दोनों ही खाली पड़े हैं। मंत्रालयिक कर्मचारियों की कमी से भी निगम जूझ रहा है।
तीनों वरिष्ठ अधिकारी नहीं
निगम की लेखा शाखा में राजस्थान लेखा सेवा के तीन अधिकारियों के पद स्वीकृत है। ये तीनों ही पद खाली पड़े है। निगम में वित्तीय सलाहकार का एक पद, वरिष्ठ लेखाधिकारी का एक पद और लेखाधिकारी का भी एक पद स्वीकृत है। ये तीनों ही पद रिक्त चल रहे है। वहीं राजस्थान अधिनस्थ लेखा सेवा संवर्ग में सहायक लेखाधिकारी प्रथम के दो पद स्वीकृत है, इनमें एक रिक्त चल रहा है।
ऑनलाइन सेवाएं व कार्य, अधिकारी एक भी नहीं
नगर निगम की अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन हैं। निगम इन सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन ही प्राप्त कर रहा है। वहीं निगम की पत्रावलियां भी ऑनलाइन प्रक्रिया से निस्तारित हो रही है। फिर भी निगम में एक भी आईटी अधिकारी नहीं है। निगम का स्थायी कम्प्यूटर ऑपरेटर भी नहीं है। सूचना सहायक व प्रोग्रामर भी नहीं हैं। संवेदक के भरोसे ऑनलाइन सेवाएं व कार्य चल रहे हैं। सूचना एवं प्रौद्योगिकी व्यवस्था करने वाला अधिकारी ही नहीं है।
कनिष्ठ सहायक के 80 फीसदी पद रिक्त
किसी भी कार्यालय की रीढ़ उसके कनिष्ठ सहायक अर्थात कनिष्ठ लिपिक होते है। निगम में कनिष्ठ सहायक के 30 पद स्वीकृत है। बताया जा रहा है कि 25 पद रिक्त चल रहे है। वहीं वरिष्ठ सहायक के 20 पद स्वीकृत है। इनमें पचास फीसदी खाली पड़े है। इसका सीधा असर निगम के कार्यालय कार्यों पर पड़ रहा है। पत्रावलियां समय पर निस्तारित नहीं हो पा रही है। एक-एक बाबू के पास दो-दो अनुभागों का कार्यभार है।
सहायक अभियंता के भरोसे शहर की सफाई व्यवस्था
शहर की सफाई व्यवस्था निगम के अभियंता के भरोसे है। निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के दो पद स्वीकृत है, लेकिन दोनों ही पद पिछले कई वर्षों से खाली पड़े है। निगम कभी सहायक अभियंता से तो कभी मंत्रालयिक कर्मचारी से तो कभी स्वच्छता निरीक्षक से स्वास्थ्य अधिकारी का कार्य करवा रहा है। यहीं नहीं स्वच्छता निरीक्षक प्रथम के पांच व द्वितीय के भी पांच पद स्वीकृत है। इनमें से चार पद रिक्त चल रहे हैं। मुख्य स्वच्छता निरीक्षक के दो पद है, दोनों खाली पडे है।
राजस्व वसूलने वाले भी नहीं
निगम की राजस्व शाखा भी रिक्त पदों से जूझ रही है। इसका सीधा असर निगम के राजस्व वसूली पर पड़ रहा है। निगम में राजस्व अधिकारी प्रथम का एक पद और राजस्व अधिकारी द्वितीय के चार पद स्वीकृत है। ये पांचो पद रिक्त चल रहे है। एसेसर के तीनों पद खाली पड़े है। आरआई के स्वीकृत 15 पदों में से 12 रिक्त पड़े है। एआरआई के चार स्वीकृत पदों में से तीन रिक्त चल रहे हैं। राजस्व शाखा में कुल 27 पद स्वीकृत हैं। इनमें 23 पद रिक्त चल रहे हैं।
मंत्री के समक्ष उठा मुद्दा
नगर निगम में रिक्त चल रहे पदों का मुद्दा बुधवार को स्वायत शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा के समक्ष भी उठा। पत्रकारों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। मंत्री ने कहा कि नगरीय निकायों में करीब 60 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं। रिक्त पद जल्द से जल्द भरे जाए, इसको लेकर प्रयास चल रहे हैं। महापौर सुशीला कंवर ने बताया कि निगम में रिक्त चल रहे पदों को भरने की बात प्रमुखता से रखी हुई है।