छतों पर मंडराता बिजली का खतरा: विद्युत तारों की कम ऊंचाई, हर कदम पर जान का जोखिम

करीब 5-6 दशक पूर्व पोकरण को विद्युतीकृत करने और समय-समय पर बढ़ी आबादी के बाद बिछे विद्युत तारों के जाल से अब हालात ऐसे हो गए है कि घरों के पास से विद्युत लाइनें निकल रही है। ऐसे में हादसे की आशंका बनी हुई है। उधर, जिम्मेदारों की ओर से कोई कवायद नहीं की जा रही है। गौरतलब हैै कि वर्षों पूर्व कस्बे की आबादी कम थी। इस दौरान कस्बे में विद्युत पोल व तारें लगाई गई थी। इस दौरान मकान ज्यादा नहीं थे। मौजूदा स्थिति यह है कि विद्युत तारें मकानों को छूती हुई निकल रही है। ऐसे में तारों की चपेट में आ जाने से हादसा होने की आशंका बनी रहती है।

यहा सर्वाधिक खतरा

कस्बे में सूरजप्रोल के पास, चौधरियों की गली, गुराणियों की गली, गांधियों की गली, भास्कर मोहल्ला, एको की प्रोल, जोधनगर, जटावास, मंगलपुरा, पुरोहितों की गली, गणेश मंदिर के पास, मालियों का बास आदि क्षेत्रों में सर्वाधिक खतरा है।

आंधी व बारिश में बढ़ जाता है भय

तेज बारिश या आंधी के मौसम में यहां हालात और भी विकट हो जाते है। घरों को छूकर निकल रही तारों के हवा, आंधी व बारिश के दौरान आपस में टकरा जाने और चिंगारियां निकलने से मकानों की दीवारों में करंट आने का भय बना रहता है। ऐसे में बारिश के दौरान नमी के कारण मकानों में करंट फैल जाने और किसी बड़े हादसे से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

हकीकत यह भी

मकानों के निर्माण अथवा तारों के बिल्कुल नजदीक आ जाने पर मकान मालिकों को अपने स्वयं के स्तर पर हादसे से बचाव के उपाय करने पड़ रहे है। मकान मालिकों की ओर से निजी इलेक्ट्रिशियन को बुलाकर तारों पर प्लास्टिक के पाइप लगाकर संभावित हादसे को रोका जा रहा है। प्लास्टिक के पाइप लगाने के दौरान भी कई बार हादसे का भय रहता है।

स्वीकृत हो चुका कार्य

कस्बे में लगे विद्युत पोल व तारें वर्षों पुरानी है। मकानों के पास और गली मोहल्लों में विद्युत तारों को बदलकर इंसुलेटेड तार लगाने के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। दीपावली के बाद ट्रांसफार्मर लगाने और इसके बाद इंसुलेटेड तारें लगाने का कार्य शुरू किया जाएगा।

धर्मेन्द्र कुमार मीणा, सहायक अभियंता डिस्कॉम, पोकरण

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