बीकानेर के संत जुगलकिशोर ओझा उर्फ पुजारी बाबा के नेतृत्व में देवदर्शन को निकले सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गुरुवार को आशापुरा मंदिर में दर्शन कर अमन, चैन, खुशहाली, भाइचारे व सद्भाव के लिए प्रार्थना की। पुजारी बाबा के नेतृत्व में बीकानेर शहर व आसपास के क्षेत्र के विभिन्न शहरों से चार-पांच हजार से अधिक श्रद्धालु सुबह 10 बजे आशापुरा मंदिर पहुंचे। यहां आए श्रद्धालुओं ने प्रसादी का भोग लगाया और उसका वितरण भी किया। एक साथ दर्जनों बसों व अन्य छोटे वाहनों में आए चार-पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं के कारण आशापुरा माता मंदिर में मेले जैसा माहौल हो गया। दर्शन कर व प्रसादी ग्रहण करने के बाद श्रद्धालुओं का यह जत्था दोपहर बाद फलोदी के लिए रवाना हुआ।
की विशेष पूजा-अर्चना, भजनों ने किया मंत्रमुग्ध
देवदर्शन यात्रा के साथ पोकरण पहुंचे श्रद्धालुओं के जत्थे का नेतृत्व कर रहे पुजारी बाबा ने बताया कि गत छह दशक से यह यात्रा निरंतर प्रतिवर्ष आसोज माह में आयोजित की जाती है। उन्होंने बताया कि यात्रा में सभी समाजों के श्रद्धालु आसोज सुदी त्रयोदशी को बीकानेर से रवाना होते है। यात्रा सबसे पहले लोकदेवता बाबा रामदेव की कर्मस्थली रामदेवरा पहुंचती है। यहां समाधि के दर्शन करने के बाद यह यात्रा आशापुरा माता मंदिर, फलोदी लटियाल मंदिर, कोडमदेसर, बाप भैरुजी मंदिर व कोलायत के दर्शन कर पुन: बीकानेर पहुंचती है। गुरुवार को यह यात्रा पोकरण स्थित आशापुरा मंदिर पहुंची। इस मौके पर विशेष पूजा-अर्चना, प्रसादी का आयोजन किया गया। यात्रा में साथ आए युवाओं के दल ने श्रद्धालुओं के साथ बैठकर भजनों की प्रस्तुतियां दी। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर व आसपास का क्षेत्र भजनों से गूंज उठा और श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे।
श्रद्धालुओं की भीड़ से मेले सा माहौल
देवदर्शन को निकले चार-पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं के पोकरण पहुंचने का दौर सुबह नौ बजे ही शुरू हो गया था। धीरे-धीरे वाहनों का काफिला आशापुरा मंदिर पहुंचने लगा। देखते ही देखते आशापुरा मंदिर से राजकीय महाविद्यालय रोड और मालियों का बास जाने वाले मार्ग पर करीब एक किलोमीटर तक वाहनों की लम्बी कतारें लग गई। एक साथ आए दर्जनों वाहनों से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं से आशापुरा मंदिर में भीड़ हो गई और यहां पांव रखने को भी जगह नहीं मिल रही थी। जिससे दोपहर तक यहां मेले जैसा माहौल बना हुआ था। श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते लगे मेले के दौरान बीकानेर व स्थानीय लोगों की ओर से चाय, नाश्ते, पान और मिट्टी के बर्तनों, खिलौनों आदि की दुकानें भी लगाई गई। यहां श्रद्धालुओं ने खरीदारी भी की।