जयपुर। जयपुर डिस्कॉम के फीडर सुधार कार्यक्रम में गड़बड़झाला सामने आया है। एक हजार करोड़ रुपए की रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत 11 केवी की बिजली लाइनों के लिए 27 फीट ऊंचाई के पोल लगाए जाने थे लेकिन ठेकेदारों ने बिजली इंजीनियरों से मिलीभगत कर केवल 15 फीट या इससे कम ऊंचाई के पोल लगा दिए। इन पोल पर जब अन्य बिजली इंजीनियरों की निगाह पड़ी तो वे कह रहे हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है। निर्धारित ऊंचाई कम करके पोल लगाने पर हादसे का खतरा बना रहेगा।
गुणवत्ता पर भी उठे सवाल
पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि प्रताप नगर के पन्नाधाय सर्कल से एनआरआई सर्कल तक कम ऊंचाई के पोल लगाए गए हैं। शहर के बाहरी इलाकों जैसे बिंदायका, हाथोज और भांकरोटा में भी इसी तरह के कम ऊंचाई के पोल घटिया गुणवत्ता के फाउंडेशन पर लगाए जा रहे हैं।
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हादसे की आशंका
पोल के फाउंडेशन में गैल्वेनाइज्ड स्टील के बजाय माइल्ड स्टील का उपयोग किया जा रहा है। जिससे बारिश में जंग लगने का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा सही तरह से अर्थिंग नहीं होने के कारण करंट फैलने से बड़े हादसे होने की आशंका भी जताई जा रही है।
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प्रताप नगर, सांगानेर, बिदायका, हाथोज और भांकरोटा जैसे इलाकों में ऐसे पोल लगाए जाने की जानकारी मिलने के बावजूद ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। इस संबंध में जयपुर शहर उत्तर सर्कल के अधीक्षण अभियंता अशोक रावत ने कहा कि पोल की ऊंचाई 9 मीटर यानि 27 फीट निर्धारित है और इससे कम लग ही नहीं सकते। मेरे पास अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं आई है कि कम ऊंचाई के पोल लगाए गए हैं। फिर भी फील्ड इंजीनियरों से इस बारे में रिपोर्ट ली जाएगी। वहीं दक्षिण सर्कल अधीक्षण अभियंता लोकश जैन से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी।