शरद पूर्णिमा पूजा का महत्व (Sharad Purnima Vrat Mahatv)
शरद पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
भविष्यवक्ता और कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात जब चारों तरफ चांद की रोशनी बिखरती है, उस समय मां लक्ष्मीजी की पूजा करने से धन का लाभ होता है। मां लक्ष्मी को सुपारी बहुत पसंद है, इस दिन की पूजा में सुपारी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
पूजा के बाद सुपारी पर लाल धागा लपेटकर उसको अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि से पूजन करके उसे तिजोरी में रखने से आपको को कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना होगा। इसके अलावा शरद पूर्णिमा की रात भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। खीर को पूर्णिमा वाली रात छत पर रखें। भोग लगाने के बाद उस खीर का प्रसाद ग्रहण करें। इस उपाय से भी आपको धन समृद्धि मिलती है। शरद पूर्णिमा की रात को हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इससे आपके घर में सुख शांति बनी रहेगी।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi 2024)
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें, यदि नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. अब एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें। चौकी के ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं।
3. अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन करें। इसके बाद मां लक्ष्मी के समक्ष लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
4. पूजन संपन्न होने के बाद आरती करें और शाम के समय फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
5. चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं।
ये भी पढ़ेंः
Sharad Purnima 2024: 3 शुभ संयोग में शरद पूर्णिमा कल, जानें क्या रात में होता है चमत्कार
शरद पूर्णिमा व्रत विधि (Sharad Purnima Vrat Vidhi)
1. पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सुबह स्नान ध्यान के बाद इष्ट देव का पूजन करें।
2. फिर इंद्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उनको गंध पुष्प आदि अर्पित करें। लक्ष्मी जी के मंत्र जपें, लक्ष्मी चालीसा पढ़ें, आरती गाएं।
3. ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करें।
4. शाम के समय फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
5. चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं।
6. पूरे दिन व्रत रखें और रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें चाहिए। मंदिर में खीर आदि दान करने का भी विधि-विधान है।
क्या है शरद पूर्णिमा मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस साल शरद पूर्णिमा 2024 पर चंद्रोदय शाम 5:10 बजे होगा। जो लोग व्रत रखना चाहते हैं वे 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रख सकते हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा करें।
ये भी पढ़ेंः
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ:16 अक्टूबर 2024 को रात 8:45 बजे से
पूर्णिमा तिथि समापनः 17 अक्टूबर 2024 को शाम 4:50 बजे
शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा: 16 अक्टूबर 2024
(खास बात है कि इस दिन रवि योग, रेवती नक्षत्र का शुभ संयोग भी है।)