सरकारी कलैण्डर में दीपावली की छुट्टी 31 अक्टूबर की है, वहीं पंचाग और ज्योतिष से जुडे विद्वान 1 नवम्बर को दीपावली शुभ बता रहे हैं। इससे आम आदमी से लेकर बाजार तक सभी भ्रम की स्थिति में हैं। वहीं, दीपावली किस दिन शुभ है, इस पर चर्चा के लिए जयपुर में 15 व 16 अक्टूबर को विद्वानों के सम्मेलन बुलाए गए हैं। उधर, सरकारी कलैण्डर और पंचाग में वर्ष 2025 में भी दीपावली की तारीख अलग-अलग होने से भ्रम पैदा हो गया है।
ज्योतिष विद्वानों का आरोप है कि पिछले साल सामान्य प्रशासन विभाग को 1 नवम्बर 2024 को दीपावली होने की जानकारी दी थी, फिर भी 31 अक्टूबर की छुट्टी घोषित कर दी। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन में 3 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 1 नवम्बर 2024 को सूर्यास्त बाद 6 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। एक नवम्बर को सूर्यास्त सायं 5 बजकर 45 मिनट पर होगा। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार जहां दो दिन पर्वकाल हो, वहां शास्त्रों में दूसरे दिन पर्व मनाने का उल्लेख है। इसके आधार पर 1 नवम्बर को अमावस्या ग्राह्य होने से उसी दिन प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन व दीपदान शुभ है।
यह कहते हैं शास्त्र
धर्मसिन्धु : यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोषकाल का स्पर्श करें तो दूसरे दिन ही महालक्ष्मी पूजन किया जाए।
निर्णय सिन्धु : जब तिथि दो दिन कर्मकाल में विद्यमान हो तो अमावस्या व प्रतिपदा का युग्म शुभ फलदायक है एवं चतुर्दशी युक्त अमावस्या का महोदाष माना गया है, इससे पूर्व में किए गए पुण्यों का नाश होता है।
सरकार ने कलैण्डर के लिए इनसे मांगी थी सलाह
संस्कृत शिक्षा निदेशक, मुद्रण एवं लेखन सामग्री निदेशक, चीफ काजी, जयपुर स्थित ईश्वर लाल बुकसेलर व श्रीहरि पुस्तक प्रचार केंद्र, माईनारटी किश्चिनयन एसोसिएशन सचिव, श्री शिवशक्ति पंचांग प्रबंधन, अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान के प्रधान सम्पादक, पं. बशीघर ज्योतिष दिग्दर्शन केन्द्र।
यहां मंगलवार को संगोष्ठी
अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् की ओर से दीपावली पर्व निर्णय विषयक धर्मसभा में जयपुर के त्रिवेणी नगर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय सभागार में मंगलवार को दोपहर दो बजे विद्वान व ज्योतिषाचार्य बुलाए गए हैं। इसमें 80 से अधिक विद्वान दीपावली की शास्त्रसम्मत तिथि का निर्णय करेंगे।
यह भी पढ़ें : राजस्थान के इन दो जिलों में दिवाली पर नहीं चला सकेंगे पटाखे, बाकी जिलों में 2 घंटे हो पाएगी आतिशबाजी
16 अक्टूबर को करेंगे विद्वानों से चर्चा
पूरे देश में दीपावली की तारीख को लेकर भ्रम है। चर्चा के लिए 16 अक्टूबर को विवि में विद्वानों का सम्मेलन बुलाया है। इसमें वर्ष 2024 व 2025 में दीपावली की तारीख को लेकर चर्चा की जाएगी। – प्रो. रामसेवक दुबे, कुलपति, ज रा राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय
जयपुर के प्रमुख पंचाग, जिनमें एक नवंबर को दीपावली
पंडित बंशीधर ज्योतिष पंचांग, ज्योतिष सम्राट् पंचांग, सवाई जयपुर पंचांग, ज्योतिष सम्राट् कालदर्शक पंचांग, अखिल भारतवर्षीय पंचांग, किशोर जंत्री पंचांग, किशोर कालचक्र पंचांग, जय मार्तंड पंचांग, राष्ट्रीय कालदर्शक पंचांग, धर्मसार पॉकेट पंचांग, श्रीचंडमातृंड पंचांग। इनमें दीपावली 31 अक्टूबर को जयविनोदी पंचांग व सर्वेश्वर जयादित्य पंचाग में 31 अक्टूबर को दीपावली है। जयपुर के गोविंददेव जी मंदिर तथा काशी, वृंदावन में भी दीपावली 31 अक्टूबर को मनाए जाने की जानकारी सामने आ रही है।
31 अक्टूबर की दीपावली मानी है- दिलावर
31 अक्टूबर को अमावस्या है। इसीलिए सरकार ने अपने केलैंडर में 31 अक्टूबर की दीपावली मानी है। लेकिन पचांग से हिसाब से एक नवंबर को दिवाली मनाई जा रही है। – मदन दिलवार, संस्कृत एवं स्कूली शिक्षा मंत्री
हमने 1 नवम्बर के लिए कहा था
राज्य सरकार की ओर से अवकाश के लिए पंचागकर्ताओं से सूची मांगी जाती है। हमने 1 नवंबर को दीपावली पर्व बताया। इस बार कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर और एक नवंबर दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी है। दो दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो तो दूसरे दिन ही पर्व मनाने के लिए अधिकतर ग्रंथकार सहमत हैं, सरकार ने 31 अक्टूबर को केंद्र सरकार के अनुरूप अवकाश घोषित किया। —ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा, निर्माता बंशीधर पंचाग
हमारी बात ही नहीं मानी
सामान्य प्रशासन विभाग को हमने समय रहते बता दिया कि 1 नवम्बर 2024 को दीपावली है, फिर भी 31 अक्टूबर का अवकाश कर दिया। अगले साल भी सरकारी कलैण्डर में 20 अक्टूबर की दीपावली है, जबकि दीपावली 21 अक्टूबर को है। – डॉ. रवि शर्मा, संपादक, ज्योतिष सम्राट् पंचांग
प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिरनवांश में लक्ष्मी पूजन सर्वश्रेष्ठ है। अमावस्या 1 नवंबर को शाम 6:17 बजे तक रहेगी। पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय प्रदोषकाल में शाम 5:40 से रात 08:16 तक रहेगा। – पं.घनश्याम लाल और पं.पुरुषोत्तम गौड़
निर्णयसिंधु में लिखा है यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो अगले दिन पर्व मनाना उचित है। – अशोक अग्रवाल, संपादक, किशोर जंत्री पंचाग
यह भी पढ़ें : अलवर से दिल्ली तक बनेगा मेट्रो कॉरिडोर, डेढ़ घंटे में दिल्ली पहुंचेगी रैपिड ट्रेन