राजस्थान में डॉक्टर बनने की राह नहीं आसान, जानें क्यों?

विकास जैन
MBBS Fees: जयपुर। मरीज चाहता है कि उसे अस्पताल जाते ही डॉक्टर मिले और उसका मर्ज दूर हो। लेकिन राजस्थान के बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की बात करें या किसी भी शहर या गांव में घनी आबादी या निम्न आबादी के बीच मौजूद छोटे अस्पताल की हर जगह मरीजों की लंबी कतार है। कारण सिर्फ एक पर्याप्त डॉक्टर नहीं है।

चौकाने वाली बात यह है कि ऐसे हालात तब है जब राजस्थान एमबीबीएस पढ़ाई की फीस वसूली के मामले में देश के नंबर वन स्टेट में शामिल है। प्रदेश के कुछ निजी कॉलेजों में साढ़े चार वर्ष के कोर्स के लिए स्टेट कोटे की सीट के करीब 23 लाख रुपए सालाना के हिसाब से एक करोड़ रुपए तक वसूली की जा रही है।

यह भी पढ़ें: फेस्टिव सीजन 2024 : खरीदारी के लिए शुभ घड़ी का इंतजार है तो जान लें डेट, मुहूर्त

सोसायटी कॉलेजों में भी पढ़ना नहीं आसान

प्रदेश में फीस के तीन ढांचे है। पुराने सरकारी कॉलेज में न्यूनतम फीस है। नए खुल रहे सरकारी मेडिकल कॉलेजों को राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। जिसमें पुराने सरकारी कॉलेजों की तुलना में कई गुना अधिक फीस है।

निजी में जाना मजबूरी

इतनी फीस देने के बाद भी सरकारी जाँच निश्चित नहीं होने से निजी की ओर मजबूरी में डॉक्टरों को जाना पड़ रहा है। जो सार्वजनिक सेवाओं के लिए अच्छा नहीं है। इतनी ज्यादा फीस देने के बाद भी कोर्स के पश्चात नौकरी नहीं मिलना मरीजों व मेडिकल प्रोफेशन की पवित्रता के लिए खतरनाक होगा। अन्य विकृति भी मेडिकल प्रोफेशन में आएगी।
डॉ. राजेन्द्र शर्मा, चिकित्सक व एक्टिविस्ट

यह भी पढ़ें: कौन है वाजिद खान? जो इजराइल-हमास पर करता है आपत्तिजनक टिप्पणी; अब पुलिस ने लिया ये एक्शन

Leave a Comment