पर्यटन ट्रेंड में बदलाव, राजस्थान घूमने नहीं खान-पान की कला सीखने आ रहे विदेशी पर्यटक

अजय शर्मा
सीकर। अब सैर-सपाटे और आउटिंग के मायने भी समय के साथ बदल रहे हैं। अलवर, उदयपुर, सवाईमाधोपुर व अजमेर सहित कई जिलों के साथ अब शेखावाटी में भी ग्रामीण पर्यटन लगातार बढ़ रहा है। शेखावाटी में पिछले तीन साल में फ्रांस सहित कई देशों के पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

अब पर्यटक राजस्थान घूमने के साथ यहां की संस्कृति, संस्कार और खान-पान की कला सीखने भी आ रहे हैं। पर्यटकों के बदलते इस क्रेज को देखते हुए अब टूर ऑपरेटर्स ने भी अपने टूर पैकेज में बदलाव किया है। ज्यादातर टूर ऑपरेटर्स ने विदेशी पर्यटकों के पैकेज में ग्रामीण पर्यटन को भी शामिल कर लिया है।

शेखावाटी में पिछले एक साल में जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, रूस सहित कई देशों के 30 से अधिक दल यहां की ग्रामीण संस्कृति सीखने के लिए पहुंचे। विदेशी पर्यटकों का कहना है कि भ्रमण के साथ यदि कुछ सीखने को मिलता है तो वह टूर ताउम्र यादगार बन जाता है।

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विदेशियों को भा रहा खंडेला, बना पर्यटन हब

अब खंडेला नए पर्यटन हब के रूप में उभर रहा है। यहां की छतरियां, बावड़ी, सलेदीपुरा का ओवल दे, सोवल दे मंदिर, वैश्य धाम, नृसिंह मंदिर, केसल खंडेला सहित कई स्थान खासतौर पर विदेशी विदेशी पर्यटकों में से जिले में सबसे ज्यादा 314 विदेशी सैलानियों ने खंडेला में ही सैर की है।

पिछले साल कुल 4 लाख 76 हजार लोगों पर्यटक खंडेला पहुंचे थे। इस साल भी अब तक कुल 2.2 लाख पर्यटक खंडेला आ चुके हैं। पर्यटकों को खूब पसंद आ रहे हैं। इस साल अब तक पहुंचे 455 विदेशी पर्यटकों में से जिले में सबसे ज्यादा 314 विदेशी सैलानियों ने खंडेला में ही सैर की है। पिछले साल कुल 4 लाख 76 हजार लोगों पर्यटक खंडेला पहुंचे थे। इस साल भी अब तक कुल 2.2 लाख पर्यटक खंडेला आ चुके हैं।

महिलाओं की पहली पसंद कुकिंग

शेखावाटी पहुंचीं कई देशों की महिला पर्यटकों में से 55 फीसदी से अधिक ने यहां के विलेज टूरिज्म में देशी खाना बनाने की कला सीखी है। वहीं पुरुषों की ओर से खेती, ग्रामीण जीवन और यहां की अर्थव्यवस्था को समझने पर ज्यादा फोकस किया है।

पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा

भारतीय संस्कृति में जीवने जीने की कला भी समाहित है। शेखावाटी में ग्रामीण पर्यटन को देखने और समझने के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है। विदेशी के साथ देशी पर्यटकों में भी राजस्थान की संस्कृति, खान-पान और पुरानी परम्पराओं को जीने के लिए भी पर्यटक आने लगे हैं।
कानसिंह, पर्यटन मामलों के विशेषज्ञ

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