दीपक व्यास
जैसलमेर जिले में अगले 15 दिनों के भीतर दुर्लभ गिद्धों की आवक शुरू होगी। ये गिद्ध लगभग 5000 किलोमीटर की दूरी तय कर हिमालय पार के क्षेत्रों से यहां पहुंचेंगे। यहां करीब 4-5 महीने तक प्रवास रहेगा। इन गिद्धों की प्रजाति दुर्लभ है।
ये मध्य एशिया, यूरोप, तिब्बत जैसे शीत प्रदेशों से पश्चिमी राजस्थान का रुख करते हैं। अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर की शुरुआत में पहला जत्था पहुंचता है। ये गिद्ध गर्मी के आगमन पर अपना देश छोड़ देते हैं और जैसलमेर पहुंचते हैं। यहां का मौसम फरवरी तक उनके लिए अनुकूल बना रहता है।
विशिष्ट ठिकानों पर पड़ाव
गिद्ध आमतौर पर उन इलाकों में बसेरा करते हैं, जहां उन्हें भोजन की सुविधा आसानी से मिल सके। जैसलमेर के ओढ़ाणिया, लाठी, भादरिया, लोहटा, और खेतोलाई गांव के आसपास ये गिद्ध अपना ठिकाना बनाते हैं। इन क्षेत्रों में मृत पशु और प्राकृतिक भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
लाल सिर वाले गिद्ध भी आएंगे
जैसलमेर के सरहदी इलाकों में ग्रिफान, सिनेरियस, यूरेशियन और इजिप्शियन गिद्धों के झुंड हर साल प्रवास करते हैं। इनके साथ सफेद पीठ वाले गिद्ध, भारतीय गिद्ध और लाल सिर वाले गिद्ध भी आते हैं। ये गिद्ध स्थानीय प्रजातियों के हैं और गंभीर खतरे में माने जाते हैं।
बर्ड पर्यटन का स्थान बन रहा रेगिस्तान- जैसलमेर में गिद्ध
पचपदरा-जसोल में कुर्जां – खींचन फलौदी के पास कुर्जां
सरकार करे इंतजाम
फलोदी के खींचन में कुर्जां के लिए तालाब बना हुआ है। यहां पर्यटकों के लिए फोटोग्राफी के लिए आकर्षक छतरियां भी है। यहां कुर्जां का बसेरा होने पर पर्यटक पहुंचते हैं।
जसोल में श्रीमाता राणी भटियाणी मंदिर ट्रस्ट की ओर से रूपसरोवर तालाब खुदवाकर प्रवासी पक्षियों के प्रवास दौरान चुग्गे, पानी का इंतजाम किया गया है।
जैसलमेर में भी गिद्ध की सुरक्षा व संरक्षण के इंतजाम तो है, इसको पर्यटन से जोड़ा जा सकता है।
सुरक्षा और संरक्षण के इंतजाम
भादरिया में स्थायी रूप से कुछ गिद्धों की देखभाल की जा रही है। आगामी दिनों में सर्दी की शुरुआत के साथ गिद्धों की संख्या बढ़ेगी, जिसके लिए सुरक्षा और संरक्षण के इंतजाम किए गए हैं।
जगदीश विश्नोई, क्षेत्रीय वन अधिकारी, लाठी
वन्यजीव प्रेमियों को बेसब्री से इंतजार
जैसलमेर में अभी तक गिद्धों की आवक नहीं हुई है, लेकिन वन्यजीव प्रेमी इनके आने का इंतजार कर रहे हैं। गिद्धों की आवक अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के बाद शुरू होगी। जिले में सात प्रमुख प्रजातियों के गिद्ध देखे जाते हैं।
राधेश्याम पेमानी, वन्यप्रेमी
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