Dussehra 2024: दशमी को दिन के समय पहलवानों द्वारा धार्मिक ‘गरबी-गीतों’ द्वारा माताजी, हनुमानजी व प्रभु की अर्चना करते हैं। घंटी, झालर और नगाड़ों की थाप के साथ रावण से युद्ध के लिए बच्चे अखाड़े में उतरते हैं और रावण को पैरों तले रौंदकर मार देते हैं।
Dussehra 2024: शिक्षा नगरी कोटा का दशहरा देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। विजयादशमी पर विशालकाय रावण पुतले का दहन किया जाता है। इसका एक लंबा इतिहास है। इसके अलावा अखाड़ों में रावण को मारने की अनूठी परंपरा भी कोटा में निभाई जाती है। दशहरे पर शाम को दशहरा मैदान में रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन होता है तो सुबह किशोरपुरा व नांता क्षेत्र में जेठियों के अखाड़ों में पैरों तले रावण को रौंदकर मारने की अनूठी परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान समाज के युवाओं में उत्साह देखते ही बनता है।
नांता समाज के अध्यक्ष सोहन जेठी व किशोरपुरा समाज के सुनील जेठी बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसके पीछे लंबी कहानी है, बस इतना जरूर है कि जेठी समाज की पहचान पहलवानों के रूप में है। समाज के लोग मूलत: गुजरात निवासी हैं और आराध्य लिंबजा माता हैं। देवी के समक्ष दानव रावण का मान मर्दन किया जाता है।
ऐसे बनाते हैं रावण
नवरात्र से पहले अखाड़े की मिट्टी को एकत्रित कर प्रतीकात्मक रूप से रावण को आकार दिया जाता है। पहले नवरात्र पर अखाड़ों में देवी की पूजा-अर्चना व घट स्थापना की जाती है। ज्वारे उगाए जाते हैं। इसके बाद मंदिर के पट बंद कर देते हैं। अखाड़े की खिड़की से ही देवी दर्शन करते हैं, लेकिन नवरात्र के आयोजनों की धूम अखाड़े पर रहती है। नवरात्र में रात को गरबा कर माता की आराधना करते हैं।
देखते ही बनता है उत्साह
दशमी को दिन के समय पहलवानों द्वारा धार्मिक ‘गरबी-गीतों’ द्वारा माताजी, हनुमानजी व प्रभु की अर्चना करते हैं। घंटी, झालर और नगाड़ों की थाप के साथ रावण से युद्ध के लिए बच्चे अखाड़े में उतरते हैं और रावण को पैरों तले रौंदकर मार देते हैं। जय श्रीराम के घोष करते हुए रावण का मान का मर्दन कर देते हैं। सोहन बताते हैं कि यह प्रतीकात्मक रूप से रावण का वध करने की परंपरा है, लेकिन असल में अहंकारी कितना भी महान और बड़ा क्यों न हो, आखिर में नष्ट होकर मिट्टी में ही मिल जाना होता है। रावण वध के मूल में यही संदेश है।
खुशहाली के प्रतीक ज्वारे
रावण वध से पहले ज्वारों को निकालकर श्रद्धालुओं में वितरित करते हैं। अच्छे ज्वारे होना खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
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