सात जनों की जान लेने वाले आदमखोर पैंथर का डर आज भी जेहन में ताजा

कपिल सोनी/गोगुंदा(उदयपुर). गोगुंदा रेंज में 12 दिनों के अंतराल में सात जनों की जान लेने वाले आदमखोर पैंथर का डर आज भी ग्रामवासियों के साथ मृतकों के परिजनों के जेहन में ताजा है। पहले दिन के हमले के बाद 23 दिन बीत चुके है, लेकिन अब तक पैंथर पकड़ में नहीं आया है। वहीं, अपने सदस्यों को खोने वाले परिवार आज भी सहमे हुए हैं।

इधर, हमले के बाद से ही वन विभाग द्वारा पैंथर को पकड़ने के लिए फील्ड ऑपरेशन जारी है, लेकिन पैंथर के हमले में मारे गए परिवार को इस डर से निकालने के लिए काउंसलिंग मुआवजा राशि देने में विभाग अभी तक पीछे है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले हमले में तो वन विभाग ने पैंथर का हमला मानने से ही इंकार कर दिया। पैंथर के हमले से मौत होने वाले सात जनों के परिवार से जब पत्रिका ने बात की तो वे आज भी डर के साए में जी रहे है। उनका कहना है कि आज भी आदमखोर पैंथर जिंदा है। हालांकि गोगुंदा रेंज से चार पैंथर पिंजरे में भी कैद हो चुके है। इसे लेकर पत्रिका ने पैंथर के हमले से मौत होने वाले सभी मृतकों के परिजनों से टोह ली। तो सभी ने आदमखोर पैंथर को जल्द पकड़ते हुए उन्हें इस डर के साए से निकालने की बात कही।

01. उंडीथल: कमली की मौत से सहमा परिवार

छाली पंचायत के उंड़ीथल गांव में 19 सितंबर को पैंथर के हमले में कमली कुमारी (16) की जान चली गई। वो खेत में बकरियां चराने गई थी। घटना के बाद से परिवार सदमे में है। कमली के पिता अंबालाल अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाए। घटना के बाद से वे ज्यादा बोल नहीं पाते हैं। कमली के भाई मोहन कहते हैं कि कमली रोजाना शाम को घर लौट आती थी। उसका शव जंगल में मिला, जहां पूरे शरीर पर पैंथर के पंजों से उसे खरोंच के निशान थे। पैंथर उसका एक हाथ और आधा पांव खा गया था। परिजनों ने कहा कि उनके घर में किसी मवेशी की मौत नहीं हुई, एक इंसान की मौत हुई है। उनकी 4 बहनें थीं, जिनमें से कमली अब नहीं रही। आज भी परिवार के सदस्य जंगल में अकेले नहीं जाते है।

02. भेवडि़या:खुमाराम के परिवार में रोजी-रोटी का संकट

19 सितंबर को कमली के शव का पोस्टमार्टम करवा ग्रामीण गांव पहुंचे ही थे कि छाली ग्राम पंचायत के भेवड़िया गांव के खुमाराम गमेती पर पैंथर ने हमला कर दिया। वे अपने बेटे छगन के साथ घर लौट रहे थे। पैंथर के हमले में जान गंवाने वाले खुमाराम गमेती के परिवार पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। खुमाराम की मेहनत मजदूरी के सहारे ही परिवार का पालन-पोषण होता था। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटी और दो बेटे हैं। पत्नी मोरनी बाई ने बताया कि पति की मौत के बाद अब घर में कोई कमाने वाला नहीं है। सरकार ने कोई मदद नहीं की। खुमारामभेवडि़या गांव में अपने परिवार के साथ कच्चे घर में रहते थे। परिवार आज भी पैंथर के डर से जंगल की ओर नहीं जाता है।

03. उमरिया: दो दिन में तीसरा शिकार बनीं हमेरी बाई

पैंथर ने छाली के उंड़ीथल और भेवड़िया में दो लोगों को मार डाला। अगले दिन 20 सितंबर को उमरिया गांव की हमेरी बाई (50) को अपना शिकार बनाया। हमेरी बाई के बेटे खेमाराम और इंद्रलाल ने बताया कि पैंथर के इस हमले के बाद उनके परिजनों ने खेत में जाना छोड़ दिया है। कुछ दिनों से खेत में चारा लेने जाने के लिए अब 4 लोग एक साथ जाते हैं। एक व्यक्ति चारा काटता है और शेष पैंथर पर निगरानी रखते है। हमेरी बाई घटना के दिन घर से एक किलोमीटर दूर गाय और बकरियां चराने गई थी। पैंथर ने इस दौरान अचानक हमेरी पर हमला कर दिया और उसका गला काट खाया। इसके बाद पैंथर वहीं खड़ा रहा। गांव वालों के हल्ला करने पर वह महिला को घसीटते हुए झाड़ियों में ले गया।

04. कुंडाऊ : छह वर्षीय मासूम सूरज को बनाया शिकार

25 सितंबर को मजावद ग्राम पंचायत के कुंडाऊ में घर से थोड़ी दूरी पर नाले के पास खेल रही सूरज पुत्री गमेरा उम्र 6 वर्ष पर हमला कर दिया। परिजन मौके पर पहुंचे तो सूरज का शव मिला। जिसके एक हाथ पैर को पैंथर ने नोच लिया। उसी समय पैंंथर पुन: आया और शव को वापस उठा ले गया। जिसके दूसरे दिन मासूम का शव मिला, जो पूरी तरह नोचा हुआ था। घटना के बाद गमेरा और उनकी पत्नी दहशत में हैं। मासूम को खोने का गम उनकी आंखों में देखा जा सकता है। कुंडाऊ छाली ग्राम से पांच किलोमीटर दूर स्थित है।

05. गुर्जरों का गुड़ा: उस मकान में अब नहीं रहते पति

बगडूंदा ग्राम पंचायत के गुर्जरों का गुड़ा में 28 सितंबर को खेत पर बने मकान में रहने वाली गट्टू बाई पत्नी मोतीलाल गुर्जर उम्र 55 वर्ष खेत पर घास लेनी गई। शाम तक नहीं लौटने पर पति सहित ग्रामीण तलाशने निकले तो गट्टू बाई का शव बुरी तरह नोचा हुआ मिला। पैंथर ने जगह-जगह से शरीर को खा लिया। मृतक गट्टू बाई और पति मोतीलाल गुर्जर गांव से दूर खेत पर बने मकान में रहते थे। दो पुत्र गांव के मकान में रहते थे। घटना के बाद मोतीलाल ने उस घर को छोड़ दिया। अब वे अपने पुत्र के साथ रहते है। लेकिन 28 सितंबर वाली शाम को वे अभी तक भुला नहीं पाए है।

06. राठौड़ों का गुड़ा: मंदिर बनाने की इच्छा रह गई अधूरी

मंदार ग्राम पंचायत के राठौडों का गुड़ा के मंदिर के पुजारी विष्णु गिरी पर पैंथर ने हमला किया। मृतक विष्णु गिरी गांव के बीच बने हनुमान मंदिर के पुजारी थे। वे मंदिर के बाहर सो रहे थे कि तड़के पैंथर ने उन पर हमला कर जगह-जगह से नोच खाया। मंदिर से कुछ दूरी पर उनका शव मिला। पुजारी का परिवार गांव में ही रहता है और पुजारी मंदिर में रहते थे। विष्णु पुरी के भाई कालू गिरी ने बताया कि विष्णु पुरी घर के नजदीक ही एक मंदिर बनाना चाहते थे। इसके लिए वो रुपयों के इंतजाम में भी लगे थे, लेकिन इस दर्दनाक घटना के बाद उनकी इच्छा अधूरी रह गई। वन विभाग की ओर से किसी तरह का मुआवजा नहीं मिला। केवल कागजी कार्रवाई की गई। स्थानीय अधिकारी भी घर पहुंचे, लेकिन अभी तक परिवार को कोई राहत नहीं मिली।

07. केलवों का खेड़ा: पिता के बाद मां ने भी छोड़ा बच्चों का साथ

राठौडों का गुड़ा में पुजारी पर हुए हमले से महज 500 मीटर की दूरी पर पैंथर ने कमला कुंवर (55) को शिकार बनाया। जब पैंथर ने कमला कुंवर पर हमला किया, तब वह घर से बाहर पशुओं को चारा डाल रही थी। उस दौरान उनकी बेटी भी उनके साथ थी। घटना के बाद से वह सदमे में है। महिला की चीख सुनकर ग्रामीणों ने हल्ला किया तो पैंथर भाग गया। इससे पहले पैंथर महिला की गर्दन को जबड़े में दबोचकर करीब 100 मीटर घसीटते हुए ले गया। इससे महिला की गर्दन पर गहरा घाव हो गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। कमला के पति की पहले ही मौत हो चुकी है। जिसके बाद से मृतक कमला कुंवर ही बच्चों की परवरिश कर रही थी। हादसे के बाद अब परिवार में जेठ खेमसिंह पर बच्चों की जिम्मेदारी आ गई है।

इन्हें मिल चुका मुआवजा

वन विभाग ने छाली ग्राम पंचायत में पैंथर के हमले में कमली, खुमाराम, हमेरी के मौत के बाद उनके परिजनों को मुआवजा राशि दे दी है। वहीं, सूरज, गट्टू बाई, विष्णु गिरी और कमला कुंवर के परिजनों को अभी मुआवजा राशि नहीं मिली है।

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