देश से जुड़ी दो ताजा खबरें हैं। पहली यह कि देश के सौ बड़े उद्योगपतियों की संपत्ति एक साल में 40 प्रतिशत बढ़ गई है और वर्ष 2020 की तुलना में तो यह संपत्ति दोगुनी हो गई है। इससे दुनिया में देश का नाम चमका है, जिस पर गर्व किया जाना चाहिए। यह देश की तरक्की और समृद्धि को भी निरूपित करती है। दूसरी खबर यह कि केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए मुफ्त अनाज योजना की अवधि बढ़ाकर दिसंबर 2028 कर दी है। यानी गरीबों को हर महीने जो मुफ्त अनाज मिल रहा है, वह दिसंबर 2028 तक उन्हें ऐसे ही मिलता रहेगा। यह मायूस और नाउम्मीद करने वाली स्थिति है। हमारे लोग भूखे न मरें, उनका पेट भरना चाहिए, इससे कोई नाइत्तफाकी नहीं हो सकती। पर उन्हें अगले सवा चार साल भी पेट भरने के लिए मुफ्त अनाज पर निर्भर रहना पड़ेगा, यह तथ्य चिंता पैदा करने वाला है।
यह दर्शाता है कि सरकार के पास मुफ्त अनाज पा रहे अस्सी करोड़ से ज्यादा लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने का कोई खाका नहीं है और इतनी बड़ी आबादी अगले सवा चार साल में भी घर की जरूरत का अनाज खरीदने तक की स्थिति में नहीं आ पाएगी। तब हमारे उद्योगपतियों के द्रुत गति से अमीरी की ऊंचाइयों के सोपान दर सोपान तय करने पर गर्व कैसे किया जा सकता है? यह पहलू तो इसका संकेत है कि इस एक साल में देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत बढ़ गई है। आने वाले चार-सवा चार साल में यह अंतर और ज्यादा बढऩे वाला है। यह तो असमानता की स्थिति है और बुरी बात यह कि असमानता का स्तर क्रमश: बढ़ता जा रहा है। किसी एक का बढ़ता जाना और दूसरे का उसी अवस्था में पड़ा रहना या उससे भी नीचे जाना, देश के समग्र विकास और समृद्धि का पर्याय कदापि नहीं हो सकता। इसके तो दुष्परिणाम ही सामने आएंगे, कभी अस्थिरता, कभी अराजकता, कभी भ्रष्टाचार तो कभी वर्ग संघर्ष के रूप में।
नीति नियंताओं, सरकार और नागरिकों, सबको इस पर विचार करने की जरूरत है कि असमानता की इस खाई को कैसे पाटा जा सकता है। इसके कई रास्ते हो सकते हैं। सबसे ताजा उदाहरण रतन टाटा का है, जिन्हें पूरी दुनिया ने परोपकारी उद्योगपति माना है। उन्होंने अपना उद्योग बढ़ाने के साथ-साथ हजारों लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने का काम भी किया। विकास की सही परिभाषा यही है दूसरों को उठाते हुए खुद ऊंचा उठना। यह रास्ता उन्होंने चुना। सब कुछ उद्योगपतियों पर नहीं छोड़ा जा सकता। सरकार को भी इसके लिए कमर कसनी होगी और कैसे निर्धन को सामान्य, सामान्य को मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग को उच्च वर्ग में तब्दील करना है, इस बारे में सोचना होगा।