सवा लाख खाली पदों से जूझ रहा शिक्षा विभाग,राम भरोसे 80 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की पढ़ाई

श्रीगंगानगर.नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश का शिक्षा विभाग वर्तमान में करीबन सवा लाख पदों की कमी से जूझ रहा है। इस कारण प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 90 लाख विद्यार्थियों की पढाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अक्टूबर माह तक की ऑनलाइन रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग में स्वीकृत कुल 3.70 लाख पदों पर केवल 2.45 लाख शिक्षक और कार्मिक ही कार्यरत हैं। इसके चलते आए दिन स्कूलों में तालाबंदी और धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं। स्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त रहने से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि प्रशासनिक कार्य भी बाधित हो रहे हैं। व्याख्याताओं की कमी से विभिन्न विषयों में छात्रों को पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है।

5 हजार कार्मिकों के कंधों पर 72 हजार स्कूलों की सफाई

विभाग में शिक्षकों के अलावा चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों का भी टोटा है। प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 27 हजार 873 पद स्वीकृत हैं लेकिन 5415 ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं। प्रदेश में 22 हजार 558 पद रिक्त हैं। ऐसे में स्कूलों में सफाई व्यवस्था के साथ बहुत से कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदेश में रिक्त पदों का गणित

पदनाम रिक्त पद

प्राचार्य 7446

उपप्राचार्य 7554

व्याख्याता 17338

पदनाम रिक्त पद

वरिष्ठ अध्यापक 25351

अध्यापक 23736

चतुर्थ श्रेणी कार्मिक 22558

इनका कहना है

रिक्त पदों के कारण स्कूलों में अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। सरकार को समय पर डीपीसी करनी चाहिए। दिव्यांग बच्चों के लिए पदों का सृजन भी अधर में लटका है। रिक्त पदों पर शीघ्र भर्तियां भी होनी चाहिए।

नरेश शर्मा, जिलाध्यक्ष, राज. विशेष शिक्षा संघ, श्रीगंगानगर।

शिक्षण कार्य प्रभावित

सरकारी स्कूलों में प्रदेश भर में रिक्त पदों के कारण स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके लिए रिक्त पदों पर शीघ्र भर्तियां और डीपीसी भी की जानी चाहिए। स्कूलों के लिए चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की भर्ती निकाली जानी चाहिए।

बसंत ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा।

स्कूलों में स्टाफ की कमी

सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी से शिक्षण कार्य पर विपरीत प्रभावित पड़ता है। स्कूलों में प्रधानाचार्य और व्याख्याताओं की कमी की रिपोर्ट निदेशालय को हर माह भिजवाई जाती है। कोशिश यही रहती है कि जितना स्टाफ है, उनसे बेहतर शिक्षण कार्य करवाया जाए।

गिरजेशकांत शर्मा, सीडीइओ, शिक्षा, विभाग, श्रीगंगानगर।

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