आपकी बात, देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल क्यों उठते हैं?

उच्च शिक्षा की बदहाली
 किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय ने शीर्ष 100 वैश्विक विश्वविद्यालयों में स्थान हासिल नहीं किया। यह उच्च शिक्षा की बदहाली को दर्शाता है। भारत में उच्च शिक्षा नामांकन और डिग्री देने पर आधारित है, न कि सीखने और नवाचार पर। उद्योग की आवश्यकता और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम के बीच व्यापक अंतर है। उच्च शिक्षा  के लिए कम बजट और प्रोफेसरों की कमी के कारण भी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।  
-कृष्ण कमल व्यास, चित्तौडग़ढ़
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 कौशल विकास पर ध्यान नहीं
  उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठने का एक कारण यह है कि इसमें कौशल विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता। विद्यार्थी उन विषयों के व्यावहारिक पहलुओं से पूरी तरह अनभिज्ञ होते हैं, जिनकी वे पढ़ाई कर रहे होते हैं।  
-प्रांजल मोदी,  सादुलशहर
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राजनतिक दखल भी जिम्मेदार
  भारत में शिक्षा का बड़े स्तर पर निजीकरण हो गया है। इसी के साथ-साथ राजनीतिक हस्तक्षेप भी बढ़ा है। आर्थिक संसाधनों की भी कमी है। कई तरह की विसंगतियां हैं जिसके कारण उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
-किशोर लेघा, बालोतरा
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शोध कार्य की उपेक्षा
पौधा तभी स्वस्थ पेड़ बनता है जब शुरुआत से उसका ध्यान रखा गया हो। कहावत भी है,  ‘बोए पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय’। जब उच्च शिक्षा में कौशल  विकास और शोध पर ध्यान ही नहीं दिया गया तो गुणवत्ता पर सवाल उठेंगे ही। अब इस तरफ कुछ ध्यान दिया जा रहा है, जिसका असर बाद में आएगा।
 -चांदनी श्रीवास्तव, रायपुर, छत्तीसगढ़
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सुधार की आवश्यकता
भारत की उच्च शिक्षा का स्तर विश्व स्तरीय नहीं होने से, इसकी गुणवत्ता पर बहुधा सवाल उठते रहते हैं। शिक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधार के साथ, शोध पर ध्यान देने की जरूरत है।  
-नरेश कानूनगो, देवास, मप्र
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निजी विश्वविद्यालय बढ़ा रहे मुश्किल
जब से विश्वविद्यालयों का निजीकरण हुआ है, तब से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। सभी विश्वविद्यालय सरकार द्वारा ही संचालित होने चाहिए।  निजी विश्वविद्यालयों से प्राप्त उच्च शिक्षा की डिग्री की गुणवत्ता पर सबसे ज्यादा सवाल उठते हैं। इसलिए सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
-शंकर गिरि, रावतसर, हनुमानगढ़
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सभी को समझनी होगी जिम्मेदारी
देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा। सरकार, शिक्षण संस्थान, शिक्षक और विद्यार्थी सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
-राजूराम प्रजापत, नागौर   

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