हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रदेश के भाजपा-कांग्रेस नेताओं ने झोंकी थी ताकत
जयपुर. हरियाणा का चुनाव कई मायनों में राजस्थान के लिए भी खास रहा। इस चुनाव का असर प्रदेश की सियासत में देखने को मिलेगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने राजस्थान के नेताओं को हरियाणा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दे रखी थीं। भाजपा काे हरियाणा में जीत मिली है, ऐसे में हरियाणा में काम कर रहे प्रदेश के भाजपा नेताओं को आगामी दिनों में पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। वहीं, कांग्रेस पार्टी की हार का बड़ा झटका लगा है। यह चुनाव कांग्रेस जीतती तो प्रदेश के नेता-कार्यकर्ताओं का मनोबल और बढ़ता।
भाजपा: सतीश पूनिया थे हरियाणा प्रभारी, पूर्ण बहुमत से बनेगी सरकार
भाजपा ने यूं तो कई नेताओं को हरियाणा चुनाव में झोंक रखा था, लेकिन हरियाणा की जीत में सबसे बड़ा योगदान प्रदेश के नेताओं में सतीश पूनिया का माना जा रहा है। पार्टी ने सतीश पूनिया को हरियाणा का प्रदेश प्रभारी बनाया था। विधानसभा चुनाव हारने के बाद पूनिया लम्बे समय से हरियाणा चुनाव की तैयारियों में जुटे थे। चुनाव जीतने के बाद माना जा रहा है कि पूनिया को पार्टी में बड़ा पद मिल सकता है या फिर विधानसभा उप चुनाव में उतारकर सत्ता में भागीदारी मिल सकती है। पूनिया के अलावा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, राजेन्द्र राठौड़, अरुण चतुर्वेदी, बाबा बालकनाथ, गुरवीर सिंह बरार सहित कई नेताओं ने पूरी ताकत झोंक रखी थी। ऐसे में पार्टी में इन नेताओं सहित कई अन्य नेताओं का कद बढ़ा है।
कांग्रेस- अशोक गहलोत थे वरिष्ठ पर्यवेक्षक, नहीं बनवा सके सरकार
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार का असर राजस्थान कांग्रेस में भी देखने को मिला। हरियाणा में प्रदेश के बड़े नेताओं ने पूरी ताकत लगा रखी थी। उम्मीद थी भारी बहुमत से जीत के साथ सरकार बनेगी। जीत को लेकर प्रदेश कांग्रेस से लेकर दिल्ली के नेताओं ने भी तैयारी कर रखी थी। कांग्रेस के चारों बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली जयपुर में ही मौजूद थे। गहलोत हरियाणा के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भी हैं। वे दोपहर 12 बजे जोधपुर से जयपुर लौटे। लेकिन, कांग्रेस की हरियाणा में बाजी पलटती देख दो घंटे बाद ही दोपहर 2 बजे उन्हें दिल्ली बुला लिया गया। उधर, कांग्रेस वॉर रूम और पीसीसी मुख्यालय पर भी खुशी मनाने की तैयारी थी। कार्यकर्ता आतिशबाजी और मिठाई लेकर पहुंचे थे, लेकिन बाजी पलटते ही सभी धीरे-धीरे रवाना होते गुए। चुनाव में पायलट, डोटासरा और जूली ने पूरी ताकत लगा रखी थी। लगातार दौरे कर चुनावी सभाएं की।
कांग्रेस को ज्यादा मेहनत करनी होगी
इस माह प्रदेश की सात सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो सकती है। हरियाणा चुनाव में भाजपा को जो जीत मिली है, उससे प्रदेश के उपचुनावों में भी भाजपा कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ता हुआ दिखाई देगा, वहीं कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं को जोश बढ़ाने पर जोर देना होगा।
प्रदेश की जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से दो सीटें झुंझुनूं और अलवर की रामगढ़ सीट हरियाणा की सीमा के पास है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों सीटों पर हरियाणा चुनाव का असर देखने को मिल सकता है। झुंझुनूं और रामगढ़ सीट पर कांग्रेस के ही विधायक चुन कर आए थे। झुंझुनूं विधायक के सांसद बन जाने से यह सीट रिक्त हुई थी और रामगढ़ विधायक के निधन की वजह से यह सीट पिछले दिनों खाली हुई है। कांग्रेस को अब यहां अपना प्रदर्शन दोहराने के लिए दोगुनी मेहनत करनी होगी। इसके अलावा भाजपा को दौसा, देवली-उनियारा, सलूंबर, खींवसर और चौरासी सीट पर भी ऊर्जा मिलेगी।
सात में से एक सीट भाजपा के पास
जिन सात सीटों पर उप चुनाव प्रस्तावित हैं। उनमें से एक सीट सलूंबर ही विधानसभा चुनाव में भाजपा जीत पाई थी। इस सीट पर भाजपा के अमृतलाल मीना चुनाव जीते। उनका निधन होने से यह सीट रिक्त हुई है। इसके अलावा छह अन्य सीटों पर कांग्रेस, आरएलपी और बीएपी के विधायक थे।
भाजपा कार्यालय में सीएम-प्रदेश अध्यक्ष ने बनाई जलेबी
हरियाणा में भाजपा की जीत पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में जोरदार जश्न मनाया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर आतिशबाजी की और जलेबी बनाई।
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