Mahagauri Puja Vidhi: नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन और कन्या भोज का विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सोलह वर्ष की आयु में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं और उन्हें गौर वर्ण का वरदान प्राप्त था। इनके गौर वर्ण के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है।
देवी महागौरी को प्रसाद स्वरूप नारियल अर्पित करने से मनुष्य पाप मुक्त होता है और विभिन्न प्रकार के भौतिक सुखः भोगता है। इनकी पूजा में ऊँ देवी महागौर्यै नमः मंत्र जपना चाहिए। मान्यता है कि नीचे लिखी विधि से महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामना पूरी होती है।
महागौरी की पूजा विधि (Mahagauri Puja Vidhi)
1. महागौरी की पूजा का भी विधान दूसरी देवियों की तरह ही है। सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान के बाद शुभ मुहूर्त में इनकी पूजा करनी चाहिए।
2. कलश के पास ही मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र रखें, फिर पहले कलश गणेशजी और अन्य देवताओं की पूजा कर मां महागौरी की पूजा शुरू करें।
3. इस दिन मां को धूप, दीप, अगरबत्ती, फल, फूल और मां का प्रिय भोग उन्हें चढ़ाएं।
4. महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति और सुहाग की मंगल कामना को लेकर मां को चुनरी भेंट करें और हाथ जोड़कर मां महागौरी का ध्यान इन मंत्रों से करें …
‘सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥’
5. ऊपर लिखे मंत्र के जप के बाद महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।
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महागौरी के मंत्र (Mahagauri Mantra)
1. श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
2. या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
महागौरी स्तोत्र (Mahagauri Stotra)
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
माता महागौरी ध्यान (Mahagauri Dhyan)
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
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माता महागौरी कवच (Mahagauri Kavach)
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
6. हवन और कन्या पूजन करें।
7. अब आरती गाएं और प्रसाद बांटें।