जैसाण में नजर आएगी बंगाल की रौनक, पर्यटन की झोली में आएंगे 50 करोड़

दुर्गा पूजा के बाद दशहरा से देश के अलग-अलग हिस्सों में घूमने की परम्परा निभाने वाली बंगाली सैलानी च्सोनार केलाज् की नगरी जैसलमेर से दशकों पुरानी प्रीत इस बार भी अवश्य निभाएंगे। जैसलमेर के पर्यटन व्यवसायी विशेषकर होटेलियर्स, गाइड्स, रिसोट्र्स संचालक आदि उनका इंतजार कर रहे हैं। नवरात्रा स्थापना के साथ बंगाल के मुख्य त्योहार दुर्गा पूजा का आगाज हो चुका है। इन नौ दिनों की अवधि के दौरान और उसके बाद खासकर विजयादशमी से दिवाली से कुछ दिन पहले तक तक जैसलमेर में मिनी बंगाल एक तरह से आकार लेगा। हाथों में छाता, आंखों पर चश्में और सिर पर टोपी लगाए बंगाली सैलानियों की रौनक जैसलमेर में चहुंओर नजर आती है। नवरात्रा समापन से दिवाली तक के 20 दिनों के दौरान करीब 25 हजार बंगाली सैलानियों के आगमन से जैसलमेर के पर्यटन व्यवसायियों को 50 करोड़ रुपए के व्यवसाय की उम्मीद है। इस बीच इन दिनों विदेशी सैलानी भी स्वर्णनगरी भ्रमण पर पहुंच रहे हैं। ये सैलानी जैसलमेर के पर्यटन स्थलों के साथ सम के लहरदार धोरों तक देखे जा रहे हैं। देशी-विदेशी सैलानियों के संगम से जैसलमेर के पर्यटन व्यवसायियों को बड़ा सम्बल मिलता नजर आ रहा है।

बंगाली पर्यटकों का अहम योगदान

जैसलमेर के पर्यटन को परवान चढ़ाने में बंगाली पर्यटकों की भूमिका को सर्वोपरि माना जाता है। 1980 के दशक में महान फिल्मकार सत्यजीत रे ने जैसलमेर में ही च्सोनार केलाज् फिल्म का निर्माण किया था। गौरतलब है कि सोनार केला की अधिकांश शूटिंग जैसलमेर के ऐतिहासिक दुर्ग में ही हुई थी। उसी के बाद इस दुर्ग को सोनार दुर्ग के नाम से पहचान मिली। यह फिल्म बंगालभूमि में खूब देखी और सराही गई और उसके बाद से जैसलमेर पश्चिम बंगाल के कोलकाता सहित अन्य शहरों के बाशिंदों का पसंदीदा भ्रमण स्थल बनकर उभरा। जैसलमेर के पर्यटन को देशी पर्यटकों में बंगाली सैलानियों का सहारा ही सबसे पहले मिला और विगत कई सालों से यह साथ बदस्तूर कायम है। उनका छिटपुट आगमन वैसे तो सितम्बर माह से साथ ही शुरू हो गया है लेकिन हर बार की भांति इस बार भी उनकी भारी तादाद नवरात्रा पर्व के संपन्न होने के बाद ही नजर आएगी। देवीभक्त बंगाली दशहरा से दिवाली तक देश के विभिन्न अंचलों में घूमने पहुंचते हैं, जिनमें सोनार किला को आंचल में समेटे जैसलमेर प्रमुख है।

दिवाली के लिए बुकिंग शुरू

जैसलमेर स्थित होटलों से लेकर सम के रिसोट्र्स में आगामी दिवाली त्योहार के समय होने वाले पर्यटन बूम के दौरान रहने के ठौर की मारामारी से बचने के लिए पर्यटकों व बाहरी ट्रेवल एजेंसियों की ओर से बुकिंग का दौर शुरू हो गया है। प्रतिष्ठित होटलों तथा रिसोट्र्स में दिवाली के आसपास के पांच दिनों के लिए बड़ी तादाद में कमरे व टेंट बुक हो गए हैं। आने वाले दिनों में इस कार्य में और तेजी आने की पूरी उम्मीद है। जानकारों के अनुसार दिवाली सीजन जैसलमेर के पर्यटन व्यवसाय के लिए पिछले कुछ सालों के दौरान रीढ़ की हड्डी बन चुका है। दशहरा से दिवाली और उ सके अगले दस दिनों की अवधि में साल भर आने वाले एक-चौथाई पर्यटक पहुंचते हैं और इतना ही व्यवसाय भी हो जाता है।

फैक्ट फाइल –

01 माह बंगाली पर्यटकों की रहती है आवक

25 हजार से ज्यादा सैलानियों के आगमन की उम्मीद

1980 के दशक से शुरू हुआ सिलसिला

बंगाली पर्यटकों से आगाज
जैसलमेर में देशी पर्यटकों में सबसे पहले आगाज बंगाली सैलानियों ने ही किया था। आज भी वे प्रतिवर्ष सोनार किला और सम के धोरों आदि को निहारने यहां आते हैं। उनके आगमन से ही जैसलमेर में देशी पर्यटन की शुरुआत हुई थी।

हरिसिंह राठौड़, पर्यटन व्यवसायी

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