Shardiya Navratri 2024: पहाड़ चीरकर निकली थी बांकी माता, रथ की सुगनी की होती है पूजा

Banki Mata Mandir: जयपुर से करीब 55 किमी दूर रायसर कस्बे के देवीतला गांव पहाड़ी पर विराजमान बांकी माता जन-जन की आस्था का केंद्र है। मेला कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष सीताराम मीणा व पूर्व अध्यक्ष बद्रीनारायण मीणा सहित कई जानकारों का कहना है कि करीब 1000 वर्ष पहले माता ने पहाड़ पर एक गवाले को दर्शन देकर वरदान दिया था कि मेरे प्रकट होने पर डरना नहीं है, लेकिन बांकी माता द्वारा रथ में बैठकर पहाड़ को चिरकर प्रकट होने पर गवाला पहाड़ से पत्थर गिरने व इधर-उधर हिलने से डर गया। जिससे बांकी माता के रथ के आगे की सुगंनी ही निकल पाई है। आज भी बांकी माता के रथ की सुगंनी की ही पूजा होती है।

मंदिर का निर्माण रायसर दरबार के समय भांगी मीणा नाम के व्यक्ति ने करवाया था। माता का मंदिर 1350 फीट ऊंची अरावली पहाड़ी की चोटी पर विराजमान है। मंदिर तक पहुंचाने के लिए सर्पिलाकार पक्का रास्ता बना हुआ है, जिसमें 750 सीढ़ियां है। मार्ग में 370 सीढ़ियों पर केसर सिंह और 410 सीढ़ियों पर पृथ्वी सिंह नाम के भैरव मंदिर विराजमान है।

वहीं मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर गणेशजी और लांगड़ा भैरव स्थित है। माता के मंदिर में वर्षभर 24 घंटे देसी घी की ज्योत जलती है और सुबह शाम रोजाना मंदिर में ढोल नगाड़ों व शंखनाद के साथ आरती की जाती है। पहाड़ी की तलहटी स्थित परिसर में प्रतिवर्ष नवरात्र और फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को मुख्य लक्खी मेला भरता है। बांकी माता को खीर, पुआ, पूड़ी व चूरमा का भोग लगाया जाता है।

40 हजार श्रद्धालु पहुंचे, अष्टमी को उमडे़गा सैलाब

बांकी माता धाम पर रविवार को नवरात्र में श्रद्धालुओ की आस्था उमड़ी। माता के दरबार में जयपुर, अलवर दौसा, दिल्ली, मुंबई सहित देशभर से करीब 40 हजार श्रद्धालु पहुंचे। बांकी माता मेला सेवा समिति के कोष अध्यक्ष जगदीश व सचिव कमलेश मीणा ने बताया कि नवरात्र में माता के दरबार को रंग बिरंगी रोशन से सजाया गया है। वही प्रतिदिन रंग बिरंगे फूलों से माता की झांकी सजाई जा रही है। अष्टमी के दिन श्रद्धालुओ की भीड़ अधिक रहेगी। इसको लेकर मेला कमेटी के सदस्यों ने पुलिस प्रशासन से रायसर बाजार में वाहनों का प्रवेश बंद करने की मांग की है।

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