घूंघट से बाहर निकल रही महिलाएं, भर रही फर्राटा, तीन साल में 1357 महिलाओं ने बनवाएं लाइसेंस

धौलपुर. धौलपुर ग्रामीण परवेश वाला जिला है। कुछ समय पहले तक महिलाएं पर्दा प्रथा और रुढिय़ों से खुद को बाहर नहीं निकालना पसंद नहीं करती थीं। लेकिन बदलते समय के साथ रुढिय़ों की बेडिय़ां तोड़ती बेटियां अब फर्राटा भर ही हैं। दुपहिया से लेकर चौपहिया वाहन तक दौड़ा रही हैं। जिलें में छह साल से वाहनों के प्रति महिलाओं का रुझान ज्यादा बढ़ा है।

शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही है। हर क्षेत्र में महिलाएं आगे आ रही हैं। वाहन को चलाने में महिलाओं में अब ललक जगी है। जिला परिवहन विभाग की जानकारी के अनुसार महिलाएं अब वाहन को चालने में आगे आ रही हंै। विशेष बात ये है कि महिलाएं वाहन चलाने के साथ लाइसेंस बनवा रही हैं, उसके बाद सडक़ पर निकल रही हैं। बता दें कि परिवहन कार्यालय से तीन साल में 1357 से अधिक महिलाओं ने लाइसेंस जारी किए हैं।

हेलमेट के प्रयोग में पुरुषों को पछाड़ रही

सुरक्षित ड्राइविंग के प्रति महिलाएं पुरुषों से अधिक सजग हैं। वे बगैर हेलमेट के नहीं निकलती हैं। शहर में करीब 80 प्रतिशत महिलाएं हेलमेट का प्रयोग कर रही है। महिलाएं घर से निकलते समय हेलमेट लगाकर ही निकल रही हैं। साथ ही महिलाएं यातायात नियमों का पालन करती हैं।

लाइसेंस के साथ ही निकल रही सडक़ पर

पहले जो ड्राइविंग लाइसेंस बनते थे, वह कागज पर ही जारी कर दिए जाते थे। इनका उपयोग कार्रवाई से बचने के लिए ही होता था। लेकिन अब महिलाएं जो लाइसेंस बनवा रही है उन्हें नियम से वाहन चलाने में प्रयोग भी कर रही है। वह लाइसेंस को साथ में रखती हैं।

कार पर भी आजमा रहीं हाथ

आत्मनिर्भर होती नारी अब सिर्फ दुपहिया वाहनों तक ही सीमित नहीं है। बड़ी संख्या में चार वाहन भी बेफ्रिक होकर चला रही है। आठ महिलाओं ने दुपाहिया वाहन को चार पहिया में परिवर्तित कराने के लिए आवेदन भी किए है। अब ये महिलाएं कार चलाना भी सीख गई है। जिससे अब वह कार की भी स्टेरिंग साधेगी।

तीन साल में जारी लाइसेंसवर्ष पुरूष महिला ट्रांसजेंडर

2022 8511 492 2

2023 10891 575 0

2024 6431 290 0

(स्त्रोत: परिवहन विभाग)

महिलाओं की बात

बदलते समय के साथ महिलाओं को हाथ बढ़ाने की आवश्यकता है, कामकाजी महिला हंू। वाहन चलाकर आसानी से सभी काम कर लेती हूं। वाहन खुद चलाने से अब किसी का सहारा नहीं लेना पड़ता है।

– डॉ. निधि त्यागी

दुपहिया वाहन चलाना सीख गई हूं। मै वाहन चलाते समय आत्मनिर्भर महसूस करती हूं। घर के काम हो या कार्यालय की जिम्मेदारी आसानी से निभा रही हूं।

– दिव्या गर्ग

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