हनुमानगढ़. जिले में सेम की समस्या तीन दशक से अधिक समय से बनी हुई है। इसके समाधान को लेकर ठोस योजना तो बनी लेकिन जमीनी तौर पर कारगर साबित नहीं हुई। इस वजह से किसानों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि सेम के पानी की निकासी को लेकर बनाया गया सेमनाला अनावश्यक वनस्पति नरस्ल से अटा पड़ा है। पिछले दो वर्षों से सेमनाले की सील्ट सफाई नहीं होने से सेम क्षेत्र के किसानों में सिंचाई विभाग के प्रति रोष बना हुआ है। किसानों का कहना है कि भैरूसरी से बड़ोपल तक बने सेमनाले की एक मुश्त सील्ट सफाई करवाने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारीयों से कई बार मांग कर चुके हैं। बार-बार चक्कर काटने के बावजूद अफसर गंभीर नहीं हो रहे हैं। भविष्य में बड़ी योजना बनाने का दिलासा देकर अफसर पल्ला झाड़ रहे हंै। किसान संजय गोदारा के अनुसार बड़ोपल पम्पिंग स्टेशन पर पानी उठाव करने वाले पांच में से तीन पम्प चल रहे हैं। मगर बड़े विद्युत ट्रांसफार्मर के अभाव में चौथा पम्प शुरू करने पर लोड लेकर पूरा सिस्टम बंद हो जाता है। बड़ोपल ढाब से पम्पिंग स्टेशन तक बने सेमनाले की गहराई भी कम होने से सेमनाले में पानी का लेवल कम नहीं हो रहा है। अधिकारियों को सेमनाले की गहराई बढ़ाने को लेकर कार्य करने की जरूरत है। ताकि सेमनाले का पानी कम समय में उठाव होने से किसानों को राहत मिल सके। किसान नेताओंं का कहना है कि इंदिरागांधी नहर में रिसाव के चलते सेम की समस्या बनी। सेम समस्या निदान के लिए सरकार स्तर पर अलग से वार्षिक बजट का प्रावधान करना चाहिए। जिससे बिजली बिलों को भरने, इनके रखरखाव तथा सील्ट सफाई कार्य आदि समय पर पूर्ण हो सके। ऐसा नहीं करने पर किसान परेशान होते रहेंगे।
