धौलपुर. कहावत है कि चना है तो दांत नहीं, दांत है तो चना नहीं। यह कहावत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरमथुरा पर सटीक साबित हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की बात सरकार करती है। परंतु सरमथुरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में यह सारे दावे फेल नजर आते हैं। जहां करोड़ों की राशि खर्च कर सरकार ने ऑक्सीजन प्लांट, दांतों की मशीन, सोनोग्राफी मशीन सहित हर तरह की सुविधा उपलब्ध करा दी गई। लेकिन डेंटल सेवा कब शुरू होगी इसका भगवान ही मालिक है। जिस कारण लोगों को अबतक यह सुविधा नहीं मिल पा रही है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डेंटल डॉक्टर को नियुक्त हुए लगभग छह माह हो गए हैं। इसी तरह डेंटल मशीन को आए हुए भी करीब एक साल व्यतीत हो गया है। डेंटल चेयर मशीन की कीमत 12.15 लाख है। जो अस्पताल में मरीजों के लिए प्रदर्शनी से कम नही है। स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां विगत छह माह में एक भी दंत रोगी की सर्जरी नही हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि अस्पताल में डेंटल चेयर मशीन, संबंधित डॉक्टर होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने इलाज के लिए जरूरी सामान नहीं भेजा। जिसका खामियाजा दंत रोगियों को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल प्रभारी डॉ. जीएल मीणा ने बताया कि सरकार ने डेंटल रोगियों की समस्या को देखते हुए मशीन भिजवा दी है। कुछ सामान अभी उपलब्ध नहीं हैं। उसके लिए एक सहायक असिस्टेंट की जरूरत है। इसके न होने से इलाज संभव नहीं है। जबकि कई बार पत्र लिखकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
दांतों के डॉक्टर फ्री, ओपीडी में डॉक्टरों की कमी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अजीब सिस्टम काम कर रहा है। अस्पताल में जो चिकित्सक हैं, उनके लिए इलाज के उपकरण भी मौजूद हैं लेकिन सामान उपलब्ध नही हैं। फिर भी डॉक्टर्स अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। आलम यह है कि मशीनें धूल फांक रही हैं। जबकि ओपीडी में चिकित्सक की कमी है। अस्पताल में मरीजों को सबसे अधिक परेशानी रात्रि में उठानी पड़ रही है। डॉक्टर के अभाव के कारण अस्पताल रात्रि में रेफर केन्द्र बन गया है। जिसका खामियाजा आमजन भुगत रहे हैं।
निजी क्लीनिकों के भरोसे दंत रोगी
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पवैनी, खुर्दिया, डौमई, चंद्रावली, मडासिल सहित कस्बे के करीब 50 हजार रोगी प्रत्यक्ष रूप से निर्भर हैं। मसूड़ा में दर्द, पायरिया आदि से ग्रसित लोग स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं। लेकिन इलाज के अभाव में निजी क्लीनिक या बाहर का रुख करना पड़ता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दंत चिकित्सक परामर्श तो देते हैं लेकिन सामान के अभाव में इलाज नहीं होता है। फिर बाहर आकर निजी क्लीनिक का सहारा लेना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा को पूरी तरह बर्बाद और खोखला कर चुकी है। जहां स्वास्थ्य व्यवस्था जर्जर और दम घुटने वाली बनकर रह गई है।
40 फीट गहरे कुएं में गिरे सांड को सिविल डिफेंस टीम ने किया रेस्क्यू
सैंपऊ क्षेत्र के गांव चितौरा में शनिवार देर शाम एक चालीस फीट गहरे में गिरे सांड को सिविल डिफेंस की टीम ने रेस्क्यू किया। सांड कुएं में करीब 5 फीट पानी में अंदर था, जिससे कड़ी मेहनत के साथ रात में बाहर निकाल लिया।
एसडीएम डॉ.साधना शर्मा ने बताया कि जिला कलक्टर श्रीनिधि बी टी को ग्रामीणों ने गांव चितौरा में सांड के कुएं में गिरने की सूचना दी। जिस पर जिला कलक्टर ने संवेदनशीलता दिखाते हुए ग्रामीणों को सांड को रेस्क्यू करने की बात कही। जिस पर सिविल डिफेंस की टीम को मौके पर रवाना किया। सांड करीब 40 फीट गहरे कुएं में अंदर पानी में था। सिविल डिफेंस की टीम के सदस्य कुएं में रस्सा डालकर नीचे उतरे। नीचे करीब 5 फीट पानी में अंदर डूबे सांड को रस्सी से बांधा और फिर मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला। टीम के प्रयास से सांड को सुरक्षित बचा लिया। सांड को बाहर निकालने में टीम में रामकुमार मीणा, संदीप, रितेश, प्रदीश, सुनील, शिव कुमार एवं कोहिनूर शामिल थे।