गौतम सिंह राठौड़
Banswara news: नवागांव। एक गांव में मंदिर की दान राशि लोगों जिंदगी में तरक्की का सोपान बन रही है। यह राशि गांव के लोगों में समान रूप से बंटती है और दूसरे साल ब्याज समेत जमा हो जाती है। गांव के लोगों के साथ दूसरे गांवों में ब्याही जा चुकी बहन-बेटियों को भी आर्थिक मदद दी जाती है।
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की गणाऊ ग्राम पंचायत के निचली नाल गांव में 70 साल पुराना पितृदेव मंदिर है। शिक्षक मालसिंह निनामा के मुताबिक यहां सालभर के चढ़ावे की नवरात्र में गणना होती है। राशि किसी बैंक में जमा करने के बजाय सभी सदस्य परिवारों को बांट दी जाती है। सालाना करीब 10 लाख रुपए मदद के तौर पर सभी परिवारों में बंटते हैं। पहले ब्याज दर दो फीसदी थी, जो घटाकर 1.25 फीसदी कर दी गई है।
यह भी पढ़ें: आमजन की बढ़ी मुश्किलें: सोना खरीदने वालों को झटका! चांदी की कीमत में भी उछाल; जानें कितने रुपये महंगा हुआ
यों हुई शुरुआत
पहले चढ़ावे का कोई हिसाब-किताब नहीं होता था। कुछ बुद्धिजीवियों ने दानपेटी रख दी। उसमें जमा राशि का इस्तेमाल आर्थिक मदद के तौर पर करने की व्यवस्था आम सहमति से लागू की गई। गांव का हर व्यक्ति राशि लेने के बाद बिना तकाजे खुद तय दिन पैसा जमा करा देता है।
शादीशुदा बहनें भी सदस्य
समिति में हर परिवार का एक सदस्य है। ऐसी 262 महिलाएं भी सदस्य हैं, जिनकी शादी दूसरे गांव में हुई। हर साल प्रति सदस्य न्यूनतम 20-20 हजार रुपए तक राशि बांटी जाती है। जरूरतमंदों के मुताबिक राशि कम या ज्यादा होती है। अगले साल ब्याज समेत आया पैसा फिर सदस्यों में बांट दिया जाता है।
यह भी पढ़ें: आखिर हो गई राजस्थान से मानसून की विदाई: इस बार टूटे कई रिकॉर्ड; इतने बांध हुए लबालब, पढ़िए पूरी खबर