आपकी बात, मादक द्रव्यों की तस्करी पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है?

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बड़ी चुनौती
भारत मेेें मादक द्रव्यों की तस्करी को रोकना बहुत बड़ी चुनौती है जिसका प्रमुख कारण भारत की भौगोलिक स्थिति है। भारत के उत्तर पश्चिम में स्वर्णिम क्रिसेंट है जिसमें ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान स्थित है तथा दक्षिण पूर्व में स्वर्णिम त्रिकोण स्थित है जिसमें म्यांमार, लाओस और थाईलैंड आते हंै। दोनों क्षेत्र मादक द्रव्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन दोनों के मध्य भारत की स्थिति होने के कारण मादक द्रव्यों की तस्करी भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है ।
-योगेन्द्र गोविन्दगढ़, जयपुर
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जागरूकता और सहयोग की जरूरत
जब तक लोग मादक पदार्थों का उपयोग करते रहेंगे, तस्करी के रास्ते भी खुले रहेंगे। भ्रष्टाचार और न्यायिक प्रणाली की कमजोरी इन समस्याओं को और बढ़ा देती है। कई बार, सरकारी नीतियों में विसंगति या कमी होती है, जो तस्करी के खिलाफ प्रभावी उपायों को लागू करने में बाधा डालती है। अंतररराष्ट्रीय और संगठित तस्करों के पास उच्च तकनीकी साधन होते हैं। पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के पास पर्याप्त संसाधन और प्रशिक्षण नहीं होता। तस्करों के बारे में आवश्यक जानकारी और खुफिया डेटा की कमी होती है, जिससे उनको पकडऩे में कठिनाई होती है। शिक्षा और जागरूकता के साथ स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग से नियंत्रण संभव है।
-मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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पुलिस की नाकामी
मादक द्रव्यों की तस्करी पर लगाम नहीं लगने के कई कारण हैं। पुष्पा जैसी फिल्मों में तस्करों को हीरो की तरह दिखाया जाता है जिसे देखकर युवा स्वयं उस जैसा बनने की कोशिश करते हैं। जो पुलिस फोटो खींच कर ई-चालान भेज सकती है, उसके लिए देश और राज्यों की सीमा सील कर तस्करी रोकना कोई बड़ी बात नहीं है।

सालिक ओझा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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सख्ती है जरूरी
जनता और सरकार दोनों ही इस मसले पर जागरूक नहीं हंै। युवा पीढ़ी के भविष्य को बचाना है तो सरकार को मादक पदार्थों की तस्करी रोकनी होगी। नए कानून बनाने की आवश्यकता है।
-रेनू माहेश्वरी, भीलवाड़ा
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खुफिया तंत्र की विफलता
मादक द्रव्यों की तस्करी पर लगाम न लग पाने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला खुफिया तंत्र की विफलता और दूसरा अधिकारियों के साथ सांठगांठ ।

वसंत बापट, भोपाल, मप्र
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पुलिस और नेताओं का संरक्षण
मादक पदार्थों के तस्करों को भ्रष्ट पुलिसकर्मियों और नेताओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त है। असल में, मांग है तभी तो आपूर्ति की जा रही है। फिल्मों, वेबसरीज और टीवी सीरियल्स के जरिए नौजवानों को बहकाया जा रहा है। विलासिता की भूख भी मानसिक तनाव बढ़ा रही है जिससे युवा नशे के दलदल में फंस रहे हैं।
-नमित अग्रवाल, अंत, बारां

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