Bikaner News: सैनिक की अंत्येष्टि के वक्त भड़के हनुमान बेनीवाल, सामने आई ये बड़ी वजह

बीकानेर। जिले के पांचू में सैनिक रामस्वरूप कस्वां का 5 दिन बाद राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि सांसद हनुमान बेनीवाल अफसरों पर भड़क गए। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में गत मंगलवार को ड्यूटी के दौरान सैनिक रामस्वरूप की गोली लगने से मौत हो गई थी। बुधवार देर शाम शव बीकानेर मिलिट्री स्टेशन पहुंचा था। इसी बीच जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने बीकानेर जिला प्रशासन को पत्र भेजकर रामस्वरूप की मौत का मामला शहादत का नहीं होने की सूचना दी। इसके बाद सैनिक परिवार ने शव लेने से इनकार कर धरना शुरू कर दिया था।

चार दिन बाद रविवार को आखिर गतिरोध टूटा और सैनिक रामस्वरूप कस्वां की पार्थिव देह की पांचू में गोचर भूमि पर राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गई। इस दौरान सैनिक के सम्मान में नारे भी लगे। गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अस्त होते सूर्य की अंतिम किरण के साथ फायर कर सैनिक को सलामी दी गई। शनिवार देर रात तक गतिरोध बना रहा। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल भी बीकानेर में रहे और सोमवार को प्रशासन का घेराव करने की चेतावनी दी। इससे प्रशासन पर दबाव बढ़ा और रविवार सुबह सुलह के फिर प्रयास हुए। प्रशासन ने सबसे पहले सुबह वार्ता कर हाइवे से टेंट हटवाया।

अधिकारियों के बैठने पर भड़के बेनीवाल

सैनिक की अंत्येष्टि के दौरान सांसद हनुमान बेनीवाल, विधायक सुशीला डूडी, जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि, आईजी ओमप्रकाश, पुलिस अधीक्षक कावेन्द्र सागर, नोखा व पांचू के प्रशासनिक अधिकारी, पांचू सरपंच हवा देवी सियाग, गोविन्दराम मेघवाल आदि ने पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद आईजी, एसपी और कलक्टर कुर्सियों पर बैठ गए। इस पर सांसद बेनीवाल ने रोष जताया और आईजी से बात की। बेनीवाल ने बताया कि जब राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि हो रही हो, तो मुखाग्नि देकर संस्कार होने तक सभी सम्मान में खड़े रहते हैं। अधिकारियों की इस गलती से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अवगत कराया जाएगा।

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शहीद स्मारक स्थल पर बनी सहमति

हाइवे से हटने के बाद कैप्टन चन्द्र चौधरी स्मारक स्थल पर धरना शुरू हुआ। यहां जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि वार्ता के लिए पहुंचीं। इसमें सैनिक की राजकीय सम्मान के साथ सड़क के पास गोचर में अंत्येष्टि करने की प्रशासन ने सहमति दी। वार्ता में नोखा विधायक सुशीला डूडी, सैनिक के परिजन, सीताराम सियाग, महेन्द्र गहलोत, बिशनाराम सियाग, मुरली गोदारा आदि शामिल हुए। कलक्टर ने सैनिक कल्याण अधिकारी पर कार्रवाई की मांग पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। सैनिक को शहीद का दर्जा देने के मामले को कोर्ट ऑफ इनक्वायरी पर छोड़ दिया गया।

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