कस्बे सहित आसपास ग्रामीण अंचल के किसानों का रुझान बरसात के प्याज की और भी बढ़ने लगा है। किसान इसको नगदी फसल के रुप में भी मानने लगे हैं। जानकारी के अनुसार 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच बुवाई होने वाला प्याज जनवरी महीने के अंतिम वह फरवरी महीने के प्रथम सप्ताह में आने से अच्छे बाजार भाव मिलने की उम्मीद में किसान इसकी रोपाई में जुट गए हैं।
कस्बे के किसानों की राय
कस्बे के किसान चंद्र प्रकाश ओझा ने बताया कि वैसे तो फरवरी एवं मार्च माह में प्याज की पौध की रोपाई की जाती है। जो गर्मी में आता है। किंतु अब बरसाती प्याज भी बाजार में आ गया है। इसका बीज अलवर मंडी से मंगवाया गया है। ओझा ने बताया कि की अभी प्याज का बीज 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से आया है। किराया जोड़ कर पांच हजार पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल लागत आई है।
खेती का गणित
किसानों ने बताया कि असाड़ी से ही प्याज लगाने वाली जमीन की हंकाई की जाती है, प्याज लगाते लगाते लगभग 10 बार जमीन की हंकाई हो जाती है। उसके बाद मजदूरों से एक एक बीज लगवाया जाता है। इसमें प्रति बीघा का लगभग 15 से 20 मजदूर लगते हैं जिसका खर्चा 6 हजार रुपए प्रति बीघा बैठता है। वही 4 क्विंटल बीज एक बीघा में लगता है। जिसकी कुल लागत पचास हजार रुपए प्रति बीघा के आस पास आती है। प्याज की बुवाई करने वाले अन्य किसानों ने बताया कि प्रति बीघा इसकी औसत पैदावार 40 से 50 क्विंटल बैठती हैं। जिन किसानों के पास अच्छी भूमि के साथ पानी के पर्याप्त साधन हैं। वही इसे लगाते हैं।
बाजार भाव भी अच्छा मिलता
बाजार भाव अच्छे मिल जाए तो लगभग एक बीघा में एक लाख से डेढ़ लाख रुपए तक की फसल बैठ जाती है। इसे किसान फायदे का सौदा मानते हैं। किंतु कभी बाजार भाव अच्छे नही रहते तो घाटे का सौदा भी साबित हो सकता है। किसान नफा एवं नुकसान को देखते हुए फिलहाल कम रकबे में प्याज की फसल लग रहे हैं। प्याज की किस्म पूसा रेड, एनएचआरडीएफ रेड, एफ्रीफाउंड व्हाइट आदि हैं।
कृषि विशेषज्ञ की सलाह
मनमीत नागर, कृषि पर्यवेक्षक ने बताया कि – क्षेत्र के किसान बरसाती प्याज लगाने के लिए खेतों को तैयार कर रहे हैं, उन्हें कृषि विभाग से सलाह लेकर प्याज की रोपाई करने के लिए मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
कमल प्रकाश मीणा, सहायक कृषि अधिकारी, भंवरगढ़ ने बताया कि – बरसात के बाद तीन-चार बार हंकाई कर खेत को तैयार कर पाटा चला कर खेत को समतल करें। अंतिम जुताई से पहले खेत में खाद एवं उर्वरक प्रति एकड़ एसएसपी 100 किलो डीएपी 60 किलो एमओपी 40 किलो का उपयोग करें। सूक्ष्म पोषक तत्वों का मिक्सर 10 किलो 2 से 3 ट्रॉली अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद भी होनी चाहिए। पौधशाला के लिए 3 मीटर लंबी 1 मीटर चौड़ी क्यारियां बना कर पौध की रोपाई करे। इससे अच्छी पैदावार मिलती है।