Marburg Virus : एक और वायरस का खौफ दुनिया को सता रहा है। सोचिए ये मारबर्ग वायरस कितना खतरनाक है कि संक्रमण के बाद तेज बुखार आता है और ब्लीडिंग होती है। इस Marburg वायरस के चपेट में आने के बाद 100 में से 22 लोग बच पाते हैं। रवांडा में मारबर्ग वायरस (Marburg Virus Outbreak in Rwanda) के कारण अबतक करीब 6 लोगों के मरने की खबर सामने आ रही हैं। साथ ही करीब 20 से अधिक लोग बुरी तरह मारबर्ग वायरस के कारण संक्रमित हैं।
Marburg Virus Outbreak in Rwanda | रवांडा में मारबर्ग वायरस का खौफ
Marburg Virus Case in Rwanda : बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक रवांडा के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सबिन न्सांजिमाना (Sabin Nsanzimana) ने बताया है कि 26 लोग अब तक इस बीमारी से संक्रमित हैं। साथ ही करीब 200 लोगों के संक्रमित लोगों के निकट संपर्क में आने का अंदेशा भी है। स्थानीय लोगों से ये अपील की जा रही है कि वे संक्रमित लोगों के फिजिकल कॉन्टेक्ट में न आएं, उनसे बचें ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
मारबर्ग वायरस क्या है | Marburg Virus Kya Hai
Marburg Virus Kya Hai : मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) एक संक्रामक वायरस है, जो मारबर्ग वाइरल फीवर या मारबर्ग हेमोरेजिक फीवर (Marburg Hemorrhagic Fever – MHF) नामक रोग का कारण बनता है। यह वायरस इबोला वायरस के समान फैमिली (Filoviridae) का सदस्य है। साथ ही इसके लक्षण और प्रसार भी इबोला जैसे होते हैं। Marburg Virus काफी घातक होता है।
मारबर्ग वायरस कैसे फैलता है | Marburg Virus Kaise Failta Hai
मारबर्ग वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति का खून, लार, पसीना आदि के संपर्क में आने से यह वायरस फैल सकता है। इसलिए मारबर्ग से संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें।
मारबर्ग वायरस के संक्रमण के लक्षण | Marburg Virus Symptoms
Marburg Virus Symptoms In Hindi : WHO की जानकारी के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के संक्रमण के बाद, इसके लक्षण 2 से 21 दिनों के भीतर विकसित होते हैं। शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी शामिल हैं। इसके बाद पेट दर्द, दस्त, उल्टी, और गंभीर मामलों में आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होने लगता है।
मारबर्ग वायरस पहली बार कहां मिला था | Marburg Virus First Case
Marburg Virus History In Hindi : प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मारबर्ग वायरस पहली बार 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट शहरों तथा सर्बिया के बेलग्रेड में शोधकर्ताओं के बीच पाया गया था, जो अफ्रीका से लाए गए बंदरों के साथ शोध पर काम कर रहे थे। तब से यह वायरस समय-समय पर छोटे प्रकोप के रूप में सामने आता रहा है। खासकर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में मारबर्ग वायरस का प्रकोप अधिक देखने को मिला है।
डिस्क्लेमर- लेख में दी गई जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध तथ्यों के आधार पर लिखी गई है। इसके दावों की पुष्टि पत्रिका नहीं करता है। ये जानकारी महज सामान्य जागरूकता के लिए है।