नागौर. दो दिनों के बाद शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। इस बार शारदीय नवरात्रि में इस साल शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में हो रहा है। शारदीय नवरात्रि के दिन 3 अक्टूबर को इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन 4 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 22 मिनट तक है। उसके बाद से वैधृति योग है। पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि इसी दिन हस्त नक्षत्र भी प्रतिपदा के दिन सुबह से लेकर दोपहर 3 बजकर 32 मिनट तक है। उसके बाद से चित्रा नक्षत्र जो पूर्ण रात्रि तक रहेगा। इंद्र योग में दुर्गा पूजन से अभीष्ट सुखों की प्राप्ति होती है। नवरात्र घट स्थापना में कन्या राशि का चतुग्रही योग बनेगा। कई बार नवरात्र स्थापना पर चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग रहता है। इसको घट स्थापना में टाला जाता है। क्योंकि चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग दोनो हीं घट स्थापना के लिए अशुभ माने जाते हैं। इस बार कन्या राशि में चतुग्र्रही योग बनेगा। जिसमें बुध, सूर्य, केतु और चंद्रमा विराजमान रहेंगे। कन्या राशि में सूर्य बुध से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। शुक्र और राहु ग्रह के बीच षडाष्टक योग भी बनेगा। इसके साथ ही 5 अक्टूबर शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग और सोमवार 7 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग,उपांग ललिता व्रत एवं् 11 अक्टूबर शुक्रवार तथा 12 अक्टूबर शनिवार को भी सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
कलश स्थापना के दो मुहूर्त हैं
इस साल शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं। एक मुहूर्त सुबह और दूसरा मुहूर्त दोपहर के समय में है।. पहला मुहूर्त में सुबह शुभ चौघडिय़ा में 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजे तक रहेगा। द्विस्वभाव लग्न अनुसार घट स्थापना के लिए सुबह कन्या लग्न 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। सुबह घटस्थापना के लिए 1 घंटा 28 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा। जो लोग सुबह में कलश स्थापना करना चाहते हैं, उनके लिए यह समय ठीक है। नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर में है। यह अभिजीत मुहूर्त है। इसे कलश स्थापना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस समय द्विस्वभाव धनु लग्न भी उपलब्ध रहेगी। दोपहर में 12 बजकर 1 निमट से देापहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस दौरान घट स्थापना की जा सकती है। घट स्थापना के लिए मध्यान्ह काल के बाद का समय उचित नहीं माना जाता है।
देवी पुराण में इसे शुभ माना है
दाधीच ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की सवारी पालकी रहेगी। हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है। मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि का आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी अश्व यानी घोड़ा मानी जाती है। यदि नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होती है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती है। यदि मां दुर्गा रविवार और सोमवार को आती हैं तो उनकी सवारी हाथी होती है। हाथी की सवारी सबसे शुभ मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन पालकी पर होगा और मां भवानी का प्रस्थान चरणायुध (बड़े पंजे वाले मुर्गे) पर होगा। देवी पुराण में पालकी की सवारी को शुभ माना गया है। हालांकि पालकी की सवारी आंशिक महामारी का कारण भी मानी गई है। वहीं मुर्गे की सवारी का देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
ऐसे करें कलश स्थापना
कलश स्थापना विधि
कलश की स्थापना मंदिर या घर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। स्नानादि करने के बाद सबसे पहले कलश स्थापना वाली जगह को गाय के गोबर से लीप लें या गंगाजल छिडक़ कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में जल या गंगाजल भरें और इसमें आम का पत्ता रखें। उसके ऊपर लाल चुनरी में लपेटकर नारियाल रखें। साथ में एक सुपारी, सिक्के,हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के साथ ही पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें। फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। मां शैलपुत्री के लिए भोग बनाएं। अखंड ज्योति में गाय का शुद्ध घी होना चाहिए। मिट्टी के कुंडा में ज्वारा भी बोना चाहिए। इस मिट्टी के पात्र को तिलक लगाकर मोली बांधकर पूजा करनी चाहिए।
नवरात्रि में किस दिन, किस स्वरूप की होगी पूजा
3 अक्टूबर को मां शैलपुत्री की पूजा
4 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
5 अक्टूबर को मां चंद्रघंटा की पूजा
6 अक्टूबर को मां कूष्मांडा की पूजा
7 अक्टूबर को मां स्कंदमाता की पूजा
8 अक्टूबर को मां कात्यायनी की पूजा
9 अक्टूबर को मां कालरात्रि की पूजा
10 अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री की पूजा
11 अक्टूबर को मां महागौरी की पूजा
12 अक्टूबर को विजयदशमी (दशहरा)
शहर में सजेंगे मां दुर्गा के पंडाल
शारदीय नवरात्रि शुरू होने के साथ ही घरों एवं मंदिरों में घट स्थाना की जाएगी। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में मां दुर्गा की प्रतिमा भी विराजित कराई जाएगी। इन पंडालों में नवरात्रि के दौरान विविध धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन होंगे।