बोलकर लिखने की तकनीक से भूल रहे कीबोर्ड के बटन
बारां. तकनीक जहां कामों को आसान बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ ये कार्यक्षमता कम कर रही है। युवाओं में टायपिंग करने और हाथ से लिखने की रफ्तार तेजी से कम हुई। नतीजा प्रश्न का उत्तर आने के बाद भी परीक्षा के दौरान लिख नहीं पा रहे हैं। टच स्क्रीन का जिस तेजी से उपयोग बढ़ा है, यह उसका दुष्परिणाम है। काउंसलर के पास अपनी समस्याएं लेकर पहुंचने वाले 25 प्रतिशत युवा इस तरह की समस्या झेल रहे हैं। मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं का कहना है कि अभिभावक से लेकर कई बच्चे और युवा इस तरह की समस्या लेकर आए हैं।
बढ़ती दिक्कतें देख स्कूलों में विशेष तैयारी
लिखने से संबंधित बढ़ती दिक्कतों के कारण स्कूलों में बच्चों को प्रैक्टिस कराने इंतजाम हुए। हफ्ते में एक दिन किसी विषय पर बच्चों ने निबंध लिखवाने से लेकर अखबार और पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरें लिखवाई जा रही है। समय तय कर दी है। ऐसा परीक्षा की तैयारी को देखते हुए किया जा रहा है।
पहले हुई आसानी, अब बढ़ गई मुश्किलें
गूगल सहित अन्य ऐप बोलकर लिखने की सुविधा दे रहे हैं। ऐसे में कीबोर्ड का उपयोग कम हो गया है। ऐसे में इस पर अंगुलियां चलने की रफ्तार कम हो गई। ऑपरेटर सहित कई दूसरे क्षेत्रों में असर पड़ रहा है। शहर में ऐसी कई जॉब हैं जहां ऑफलाइन काम के दौरान जब ऐप काम नहीं करते, उस समय काम प्रभावित हो रहा है।
ये हो रहा असर
परीक्षा के दौरान छूट रहे प्रश्न, समय पर प्रश्नपत्र नहीं हल कर पाते।
कोचिंग और तैयारी के बाद भी परीक्षा परिणाम अपेक्षाकृत कम।
ऑपरेटर सहित रायटिंग जॉब में युवाओं को दिक्कत।
लिखने से जुड़ी समस्याएं सामने आ रही हैं। इसके लिए सप्ताह में एक दिन लेखन जरूर करना चाहिए। इसमें किसी विषय पर लिखाई के साथ ही उन्हें मैगजीन या न्यूजपेपर में प्रकाशित खबरें लिखने का काम भी किया जा सकता है। इससे लेखन शैली में सुधार आता है और क्षमता बढ़ती है।
पीयुष शर्मा, डीईओ