जयपुर। जयपुर में विवेकानन्द ग्लोबल यूनिवर्सिटी में द्वितीय आर.के. रस्तोगी मेमोरियल नेशनल नेगोशिएशन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एडिशनल सोलिसिटर जनरल राजस्थान हाई कोर्ट राजदीपक रस्तोगी ने श्री आर.के. रस्तोगी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसी विभूतियाँ बहुत लंबे समय तक नहीं आती। उन्होंने रस्तोगी की अधिवक्ता कौशल और मानवीय गुणों की सराहना की और सुझाव दिया कि विवादों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रवृत्ति को अपनाया जाना चाहिए।
मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ए.जी. मसीह ने कहा कि वर्तमान में न्यायालयों में केसों की संख्या बढ़ रही है। इसका समाधान आपसी बातचीत से संभव है। उन्होंने इसे देश की पुरातन परंपरा बताया और अधिवक्ताओं से अनुरोध किया कि वे पक्षकारों को आपसी समझौते के लिए प्रेरित करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनिंदर मोहन श्रीवास्तव ने प्रतियोगिता में भाग ले रहे विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे विवादों को अदालतों में लाने से पहले सुलझाने का प्रयास करें।
न्यायाधीपति अवनीश झिंगन ने बातचीत को विवादों के समाधान का सबसे अच्छा विकल्प बताया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी ने भी अधिवक्ताओं के दायित्व की महत्ता पर जोर दिया।
विधि विभाग की अध्यक्षा डॉ. शिल्पा राव रस्तोगी ने नेगोशिएशन के महत्व को रेखांकित किया और चेतावनी दी कि विवादों का हल न निकालने पर एक पक्षकार बहुत कुछ खो सकता है।
वीजीयू के चेयर पर्सन डॉ. ललित के. पंवार ने इस अभिनव प्रयोग की सराहना की, वहीं संस्थापक डॉ. के.आर. बगडिया ने ग्रामीण उदाहरणों के माध्यम से बातचीत के महत्व को बताया।